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नक्सलवाद पर बड़ा वार... बस्तर अब LWE की सूची से बाहर, विकास की ओर बढ़ा एक और कदम

छत्तीसगढ़ का बस्तर अब नक्सलवाद से बाहर निकलकर और विकास की राह पर अग्रसर है, जिसे केंद्र सरकार ने एलडब्ल्यूई सूची से हटाकर 'लेगसी डिस्ट्रिक्ट' घोषित कर दिया है.

छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद की पकड़ अब ढीली पड़ती नजर आ रही है. राज्य सरकार और सुरक्षा बलों की संयुक्त रणनीति और लगातार प्रयासों का परिणाम अब सामने आने लगा है. इसी कड़ी में बस्तर जिले को केंद्र सरकार ने 'एलडब्ल्यूई' (लेफ्ट विंग एक्स्ट्रीमिज्म) की सूची से हटा दिया है और उसे 'लेगसी डिस्ट्रिक्ट' की श्रेणी में शामिल कर लिया गया है. ये बदलाव ना केवल सुरक्षा के लिहाज से बल्कि विकास की दिशा में भी एक बड़ा और सकारात्मक संकेत माना जा रहा है.

बस्तर कलेक्टर हरीश एस ने पुष्टि करते हुए कहा कि बस्तर अब LWE जिलों की सूची से बाहर हो चुका है. 2025 में मिलने वाला एलडब्ल्यूई ग्रांट बंद कर दिया गया है और अब जिले में सीधे विकास कार्य शुरू होंगे. ये कदम बस्तर को हिंसा से शांति और विकास की ओर ले जाने वाले नए अध्याय की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है.

बस्तर अब 'लेगसी डिस्ट्रिक्ट'

बस्तर जिले को अब केंद्र से मिलने वाली एलडब्ल्यूई ग्रांट मार्च 2025 तक के लिए जारी की गई थी, लेकिन अप्रैल 2025 से ये राशि रोकी जा रही है. अब इस जिले में सीधे तौर पर आधारभूत विकास के कार्य शुरू होंगे, जिससे स्थानीय जनता को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा. इसका सीधा असर शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन और रोजगार जैसे क्षेत्रों पर पड़ेगा.

नक्सलवाद की जद से बाहर निकल रहे जिले

बस्तर संभाग के 7 जिलों में कभी नक्सलवाद चरम पर था, लेकिन अब हालात तेजी से बदल रहे हैं. बस्तर और एक अन्य जिला नक्सल प्रभाव से पूरी तरह बाहर आ चुके हैं. अब सिर्फ 5 जिले ही एलडब्ल्यूई सूची में शामिल हैं. इससे पहले राजनांदगांव, कवर्धा और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई को भी सूची से बाहर कर दिया गया था.

नक्सल प्रभावित इलाकों में खुले सुरक्षा कैंप

बस्तर के कई संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया है. लोहंडीगुड़ा के मारडूम, ककनार, दरभा के कोलेंग, माचकोट, तिरिया और तुलसीडोंगरी जैसे क्षेत्रों में नए सुरक्षा कैंप और थाने खोले गए हैं. झीरम घाटी में भी दो नए कैंप स्थापित किए गए हैं, जो ये दर्शाता है कि सरकार अब हर स्तर पर स्थायी शांति की दिशा में कार्य कर रही है.

एलडब्ल्यूई क्या है?

एलडब्ल्यूई यानी ‘लेफ्ट विंग एक्स्ट्रीमिज्म’ भारत सरकार की उस सूची को कहा जाता है जिसमें वे जिले शामिल किए जाते हैं जहां माओवादी या नक्सली गतिविधियां चरम पर होती हैं. इन जिलों को विशेष पैकेज, सुरक्षा बलों की तैनाती, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और सामाजिक योजनाओं के जरिए मुख्यधारा में लाने की कोशिश की जाती है.

सरकार का मानना है कि केवल हथियार से नहीं बल्कि विकास से भी नक्सलवाद का खात्मा संभव है. यही वजह है कि बस्तर जैसे इलाकों में सुरक्षा के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और संचार जैसे बुनियादी क्षेत्रों में भी निवेश बढ़ाया गया है. अब जब बस्तर एलडब्ल्यूई लिस्ट से बाहर आ चुका है, तो वहां की जनता को विकास का लाभ सीधे मिलेगा.

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28 May 2025, 03:16 PM IST

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