Bihar Elections 2025...तो दे दो हमें 15 ग्राम, मांझी और चिराग ने बढ़ाई बीजेपी की टेंशन, जानें किस पार्टी ने मांगी कितनी सीटें
बिहार चुनाव से पहले NDA में सीट बंटवारे को लेकर चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बीच तनातनी बढ़ गई है. चिराग 25-30 सीटें चाहते हैं, जबकि मांझी 15 से कम पर राज़ी नहीं. बीजेपी के लिए दोनों को संतुष्ट करना चुनौती बना हुआ है, वरना गठबंधन कमजोर हो सकता है.

बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के अंदर सीट बंटवारे को लेकर सियासी खींचतान बढ़ती जा रही है. चिराग पासवान की चुप्पी और जीतन राम मांझी के कड़े तेवर इस बात का संकेत हैं कि गठबंधन के भीतर तालमेल बिगड़ रहा है. जहां चिराग पासवान अपनी पार्टी, लोजपा (रामविलास) के लिए कम से कम 25 से 30 सीटों की मांग कर रहे हैं, वहीं मांझी ने 15 सीटों से कम पर कोई समझौता न करने की सख्त हिदायत दी है.
चिराग पासवान की सीटों की मांग
सूत्रों के अनुसार, चिराग पासवान चाहते हैं कि उनकी पार्टी को 25 से 30 सीटें दी जाएं. वे खासतौर पर 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी द्वारा जीते गए पांच लोकसभा क्षेत्रों हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, नवादा और जमुई से कम से कम दो- दो विधानसभा सीटें दी जाएं. इसके अलावा लोजपा (रामविलास) के वरिष्ठ नेताओं के लिए भी सुरक्षित सीटें मांग की गई हैं.
हालांकि, बीजेपी ने अभी तक 22 से 25 सीटों की सहमति जताई है, पर यह संख्या चिराग के लिए संतोषजनक नहीं है. चिराग ने बातचीत की जिम्मेदारी अपने बहनोई अरुण भारती और प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी को सौंपी है, जिससे उनकी मांग और कड़ी हो गई है. उनका फोकस सिर्फ संख्या पर नहीं, बल्कि उन सीटों पर है जहां पार्टी की जीत की संभावना अधिक हो. इस बीच चिराग पासवान ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर बीजेपी की धड़कनें बढ़ा दी हैं. उन्होंने लिखा, "जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत। जीना है तो मरना सीखो, कदम-कदम पर लड़ना सीखो."
पापा हमेशा कहा करते थे —
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2025
"जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत।
जीना है तो मरना सीखो,
कदम-कदम पर लड़ना सीखो।"#ramvilaspaswan pic.twitter.com/9kcc2VswAo
मांझी की मांग
दूसरी ओर, जीतन राम मांझी भी अपनी हिस्सेदारी पर अड़े हुए हैं. उन्होंने साफ कहा है कि उन्हें 15 सीटों से कम स्वीकार्य नहीं होंगी. मांझी की पार्टी ‘हम’ पिछली बार एनडीए के साथ थी और उन्हें सिर्फ चार सीटें मिली थीं. इस बार वे दलित वोटबैंक और संगठन की मजबूती का हवाला देकर हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.मांझी की कड़ी रुख ने भी गठबंधन के भीतर सीट वितरण प्रक्रिया को और पेचीदा बना दिया है.
“हो न्याय अगर तो आधा दो,
— Jitan Ram Manjhi (@jitanrmanjhi) October 8, 2025
यदि उसमें भी कोई बाधा हो,
तो दे दो केवल 15 ग्राम,
रखो अपनी धरती तमाम,
HAM वही ख़ुशी से खाएंगें,
परिजन पे असी ना उठाएँगे”
गठबंधन की मजबूती
बीजेपी के लिए यह बड़ा सवाल है कि दोनों नेताओं को संतुष्ट करते हुए गठबंधन की एकजुटता कैसे कायम रखी जाए. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी दोनों की अपनी-अपनी ताकतें और वोट बैंक हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना बीजेपी के लिए जोखिम भरा हो सकता है.
बीजेपी नेताओं का कहना है कि जल्द ही सीट बंटवारे का अंतिम फार्मूला जारी किया जाएगा, लेकिन अंदरखाने यह माना जा रहा है कि यदि चिराग की मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे बागी हो सकते हैं, जैसा कि 2020 के चुनाव में हुआ था.
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
विश्लेषकों का मानना है कि चिराग और मांझी दोनों का वोट बैंक प्रभावशाली है और दोनों के बीच सामंजस्य टूटने पर एनडीए की स्थिति कमजोर हो सकती है. इसलिए बीजेपी के सामने चुनौती है कि वह संतुलन बनाए रखे और दोनों नेताओं की मांगों को सम्मानजनक तरीके से पूरा करे.


