Explainer: नीतीश कुमार ने जब जब पलटी मारी, तब-तब भाजपा और आरजेडी को लेकर दिए ये तीखे बयान... पढ़ें पूरी खबर
Bihar Politics: साल 2017 में नीतीश कुमार ने कांग्रेस और आरजेडी से गठबंधन तोड़ने के बाद कहा कि जबसे राजद नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, तब से हम लोग निवेदन कर रहे थे कि इस पर कम से कम स्पष्टीकरण तो दे दीजिए.
Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री ने साल 2022 में एनडीए का दामन छोड़ने के बाद महागठबंधन में शामिल हो गए थे, यह उनके साथ पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले साल 2013 में नरेंद्र मोदी के पीएम उम्मीदवार बनने से वह एनडीए से अलग हो गए थे और अपने पुराने सहयोगी लालू प्रसाद का दामन साल 2015 में थाम लिया था. लेकिन यह सरकार मात्र 20 महीने ही चल पाया. इसके बाद वह महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए के सहयोगी हो गए थे.
नीतीश कुमार ने 1994 में बनाई थी अपनी पार्टी
साल 1994 में लालू प्रसाद यादव से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने जॉर्ज फ़र्नान्डिस के साथ मिलकर समता पार्टी का गठन किया था और लालू के विरोध में उतरे नीतीश कुमार को 1995 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था. इस हार के बाद नीतीश कुमार को राज्य में किसी अन्य पार्टी के सहयोग चाहिए था. जहां उसने वर्ष 1996 में राज्य में सबसे कमजोर मानने वाली पार्टी बीजेपी से हाथ मिला लिया और करीब यह गठबंधन दोनों के बीच 17 वर्षों तक चला. बीजेपी के सहयोग से साल 2005 में नीतिश सत्ता में आ सके. इसके बाद दोनों पार्टियों ने मिलकर राज्य में 2013 तक अपनी सरकार चलाई.
ऐसे टूटा 17 साल पुराना गठबंधन
वर्ष 2013 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2014 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया, इसके बाद नीतिश कुमार एनडीए से नाराज हो गए और अपना 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया. साल 2015 में लालू की पार्टी आरजेडी से अलायंस कर लिया. इसके बाद वर्ष 2015 में विधानसभा चुनाव आरजेडी और जेडीयू ने एक साथ लड़ा जहां पर आरजेडी ने अपनी सहयोगी पार्टी जेडीयू से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज कर विधानसभा में आई. लेकिन आरजेडी ने मुख्यमंत्री का पद नीतीश कुमार को दे दिया किया.
नीतीश बोले- हम बीजेपी के दोबारा नहीं जाएंगे
बीजेपी से गठबंधन तोड़ने के बाद नीतीश कुमार ने साल 2022 में समस्तीपुर में एक इंजीनियरिंग कॉलेज के उद्घाटन के बाद जनसभा को संबोधित बीजेपी पर निशाना साधा. इस दौरान उन्होंने कहा कि हम दोनों अलग हो गए हैं और हम उनके साथ दोबार कभी नहीं जाएंगे. हम समाजवादी पार्टी एक साथ रहेंगे और बिहार समेत देश का उत्थान के लिए काम करेंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी में पहले जो लोग थे वह काम करते थे, लेकिन अब के नेता सिर्फ प्रचार करते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सरीखे से खूब काम किया है.
भ्रष्टाचार को लेकर नीतिश ने तोड़ा आरजेडी का साथ
साल 2017 में नीतीश कुमार ने कांग्रेस और आरजेडी से गठबंधन तोड़ने के बाद कहा कि जबसे राजद नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, तब से हम लोग निवेदन कर रहे थे कि इस पर कम से कम स्पष्टीकरण तो दे दीजिए. लेकिन पार्टी से ऐसा नहीं हो पाया. स्थिति दिन-प्रतिदिन बेकार होती चली गई थी. हम उस वक्त गठबंधन धर्म निभा रहे थे और जितना हो सका हमने आगे बढ़ाया लेकिन अब मेरी अंतरआत्मा इस अलायंस को आगे बढ़ाने की गवाही नहीं दे रही थीं. इसके बाद ही नीतीश कुमार ने महागठबंधन से रिजाइन दे दिया.
एक बार फिर हुआ बाजार गर्म
नीतीश कुमार को लेकर एक बार बिहार की राजनीति में बाजार गर्म गया है, इंडिया गठबंधन में लोकसभा की सीटों के बंटवारे को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नाराज चल रहे हैं. बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर पलट सकते हैं. हाल ही में जननायक कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार ने देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न मरणोपंरात से देने की घोषणा की तो सीएम नीतीश कुमार ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रियादा किया था और गठबंधन में शामिल करने वाले नेता ललन सिंह का पार्टी से त्यागपत्र देने के बाद कहा जाने लगा है कि नीतीश एक बार फिर पलटी मार सकते हैं और लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन का साथ छोड़ सकते हैं.