'बीरेन सिंह गए...अब मणिपुर में लागू हुआ राष्ट्रपति शासन!'
बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद अब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है. राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, जनता और विपक्ष दोनों इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं. अब सबसे बड़ा सवाल ये है – मणिपुर का अगला कदम क्या होगा? जानिए पूरी खबर यहां!

President Rule in Manipur: मणिपुर की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो गया है. मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के कुछ ही दिनों बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है. राज्य में पहले से ही अशांति का माहौल था और अब इस फैसले ने राजनीतिक चर्चाओं को और तेज कर दिया है.
क्यों दिया बीरेन सिंह ने इस्तीफा?
बीरेन सिंह, जो 2017 से राज्य के मुख्यमंत्री थे, ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया था. पिछले साल से मणिपुर में जातीय हिंसा और अस्थिरता का माहौल बना हुआ था, जिससे सरकार की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे थे. हालात को संभालने में नाकाम रहने और बढ़ते राजनीतिक दबाव के चलते उन्होंने आखिरकार पद छोड़ दिया.
मणिपुर में लगा राष्ट्रपति शासन, बीरेन सिंह ने सीएम पद से कुछ दिनों पहले ही दिया था इस्तीफा #Manipur https://t.co/Q9jA9omb09 pic.twitter.com/0tYMQkxcx2
— Rohit Chaudhary (@rohitch131298) February 13, 2025
राष्ट्रपति शासन क्यों लगा?
बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई. केंद्र सरकार ने हालात को देखते हुए राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया, ताकि प्रशासन सीधे केंद्र के हाथों में आ सके. इसका मतलब यह है कि अब राज्य में किसी भी दल की सरकार नहीं रहेगी और सारी प्रशासनिक शक्तियां राज्यपाल और केंद्र सरकार के पास होंगी.
जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया
इस फैसले के बाद मणिपुर की जनता में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. कुछ लोग इसे सही कदम बता रहे हैं ताकि राज्य में शांति बहाल हो सके, जबकि कुछ लोगों का मानना है कि जनता को मिले वोटिंग अधिकारों को खत्म कर दिया गया है. विपक्षी पार्टियों ने भी इस फैसले पर सवाल उठाए हैं और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है.
आगे क्या होगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि मणिपुर में अगली सरकार कब बनेगी? राष्ट्रपति शासन आमतौर पर तब तक लागू रहता है जब तक राज्य में चुनाव नहीं कराए जाते या कोई स्थिर सरकार नहीं बनती. ऐसे में सभी की नजरें केंद्र सरकार के अगले कदम पर टिकी हुई हैं.
क्या मणिपुर में हालात सुधरेंगे?
राज्य पहले से ही जातीय संघर्ष और प्रशासनिक चुनौतियों से जूझ रहा है. अब जब पूरा नियंत्रण केंद्र सरकार के हाथों में आ गया है, तो यह देखना होगा कि क्या शांति बहाली के प्रयास तेज होते हैं या हालात और बिगड़ते हैं. फिलहाल, मणिपुर की राजनीति में अनिश्चितता बनी हुई है और लोग यही सवाल कर रहे हैं – आगे क्या होगा?


