CBI ने किरू जलविद्युत मामले में सत्य पाल मलिक के खिलाफ दाखिल किया आरोपपत्र
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कीरू जलविद्युत परियोजना मामले से जुड़े कथित भ्रष्टाचार के मामले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया है.

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 22 मई 2025 को जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पांच अन्य के खिलाफ किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में आरोपपत्र दायर किया है. यह मामला 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्यों के ठेके में कथित अनियमितताओं से जुड़ा है.
रन-ऑफ-द-रिवर पनबिजली परियोजना
किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट चिनाब नदी पर स्थित एक रन-ऑफ-द-रिवर पनबिजली परियोजना है, जिसकी कुल लागत 4,287 करोड़ रुपये है और यह 624 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली है. इस परियोजना में जम्मू-कश्मीर सरकार की 45% और एनएचपीसी की 51% हिस्सेदारी है. यह भारत की सबसे महंगी पनबिजली परियोजनाओं में से एक मानी जाती है.
CBI ने आरोपपत्र में चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स लिमिटेड (CVPPPL) के पूर्व अधिकारियों एमएस बाबू, नवीन कुमार चौधरी, एमके मित्तल, अरुण कुमार मिश्रा और पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड के खिलाफ आरोप लगाए हैं. आरोप है कि CVPPPL की 47वीं बोर्ड बैठक में रिवर्स नीलामी के साथ ई-टेंडरिंग के जरिए दोबारा टेंडर करने का फैसला लिया गया था, लेकिन चल रही टेंडरिंग प्रक्रिया को रद्द करने के बाद इसे लागू नहीं किया गया और 48वीं बोर्ड बैठक में इसे पलट दिया गया.
300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश
सत्यपाल मलिक ने आरोप लगाया था कि उन्हें राज्यपाल रहते हुए परियोजना से संबंधित दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी. उन्होंने इस मामले की शिकायत जम्मू-कश्मीर सरकार से की थी, जिसके बाद CBI ने अप्रैल 2022 में मामला दर्ज किया था.
CBI files chargesheet against former J-K governor Satya Pal Malik and five others in Kiru hydropower corruption case: Officials
— Press Trust of India (@PTI_News) May 22, 2025
CBI ने की थी छापेमारी
इस मामले में CBI ने दिल्ली, जम्मू, गुरुग्राम, चंडीगढ़, पटना, जोधपुर, बाड़मेर, नोएडा और बागपत सहित 30 स्थानों पर छापेमारी की थी. इसमें सत्यपाल मलिक के दिल्ली स्थित आवास और दफ्तर भी शामिल थे. मलिक ने इन छापों को राजनीतिक साजिश करार दिया था.
किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद इस परियोजना की प्रगति और स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के मुद्दे पर भी सवाल उठे हैं. यह मामला जम्मू-कश्मीर में प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.


