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सुपरटेक प्रोजेक्ट्स की जांच करेगी CBI, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक घोटाले में CBI को जांच सौंपते हुए SIT के गठन का आदेश दिया है, जिससे बैंकों और बिल्डरों की मिलीभगत से ठगे गए हजारों घर खरीदारों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है.

सुप्रीम कोर्ट ने NCR (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में सुपरटेक लिमिटेड की रियल एस्टेट परियोजनाओं को लेकर बड़ा कदम उठाया है. कोर्ट ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) को प्राथमिक जांच करने का आदेश दिया है. ये कार्रवाई बैंकों और रियल एस्टेट डेवलपर्स के बीच 'अवांछनीय गठजोड़' को लेकर कोर्ट की गंभीर चिंता के बाद सामने आई है, जिससे हजारों घर खरीदारों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है.

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये मामला केवल आर्थिक अनियमितताओं का नहीं, बल्कि एक बड़े पैमाने पर योजनाबद्ध धोखाधड़ी का है. इसमें बैंकों और बिल्डरों की मिलीभगत से खरीदारों को समय से पहले भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया, जबकि प्रोजेक्ट अभी अधूरे ही थे. कोर्ट ने इसे एक 'अनैतिक गठजोड़' करार दिया है, जो आम नागरिकों के हितों के खिलाफ है.

SIT के लिए पुलिस अधिकारियों की लिस्ट मांगी

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पुलिस महानिदेशकों (DGPs) को निर्देश दिया है कि वे उप पुलिस अधीक्षकों (DSPs), इंस्पेक्टरों और कांस्टेबलों की सूची सौंपें. ये अधिकारी विशेष जांच टीम (SIT) का हिस्सा बनेंगे, जो सुपरटेक परियोजनाओं से जुड़े फर्जीवाड़े की जांच करेगी.

उच्च स्तरीय अधिकारियों को SIT में सहयोग का निर्देश

कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, नोएडा अथॉरिटी, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI) और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को आदेश दिया है कि वे वरिष्ठ अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त करें. ये नोडल अधिकारी SIT को तकनीकी और दस्तावेज़ी सहायता प्रदान करेंगे.

सबवेंशन स्कीम बना घोटाले का माध्यम

इस मामले की पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट का पूर्व आदेश है जिसमें उजागर हुआ था कि हजारों घर खरीदार सबवेंशन स्कीम के शिकार बने हैं. इस स्कीम के तहत बैंकों ने 60-70% होम लोन की राशि सीधे बिल्डरों को दे दी थी, जबकि प्रोजेक्ट अभी पूरे नहीं हुए थे. नतीजतन, खरीदारों को बिना फ्लैट मिले ही EMI चुकानी पड़ी.

पीड़ित खरीदारों की गुहार

याचिकाकर्ताओं ने- जो नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम सहित कई एनसीआर क्षेत्रों में फ्लैट बुक करा चुके हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें बैंकों द्वारा समय से पहले भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया, जबकि निर्माण अधूरा था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले CBI को आदेश दिया था कि वो बिल्डर-बैंक गठजोड़ को लेकर एक कार्य योजना प्रस्तुत करे. इसके साथ ही ये जांच करे कि ये संगठित धोखाधड़ी किस तरह से आम घर खरीदारों की कीमत पर की गई.

ये ऐतिहासिक फैसला ना सिर्फ रियल एस्टेट और बैंकिंग सेक्टर में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक मजबूत कदम है, बल्कि इससे हजारों घर खरीदारों को भी राहत मिलने की उम्मीद है, जो अब तक अधूरे मकानों के साथ ठगे गए महसूस कर रहे थे.

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29 April 2025, 05:22 PM IST

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