कॉर्पोरेट जगत पर ऊंची जातियों का कब्ज़ा, उदित राज के निशाने पर तेल व्यापार
उदित राज ने अमेरिकी व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की उस टिप्पणी का समर्थन किया, जिसमें दावा किया गया था कि भारत के उच्च जाति के कॉरपोरेट घराने रूस से कच्चे तेल की खरीद में बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं.

Udit Raj supported Peter Navarro's comment: कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने रविवार को अमेरिकी व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो की उस टिप्पणी का समर्थन किया, जिसमें दावा किया गया था कि भारत के उच्च जाति के कॉरपोरेट घराने रूस से कच्चे तेल की खरीद में बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं. उदित राज ने कहा कि नवारो का बयान तथ्यात्मक रूप से सही है और यह वास्तविकता है कि भारत में कॉरपोरेट जगत पर ऊंची जातियों का कब्ज़ा है.
उदित राज ने लगाए आरोप
दलित नेता उदित राज ने आरोप लगाया कि देश में कच्चे तेल के व्यापार से होने वाला लाभ आम जनता तक नहीं पहुंचता. उनके अनुसार, ऊंची जातियों के व्यापारी रूस से तेल खरीदकर उसे परिष्कृत करते हैं और ऊंचे दामों पर बेचकर लाभ कमाते हैं, जबकि सामान्य भारतीय इससे वंचित रहते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक भेदभाव की गहरी जड़ों के कारण पिछड़ी जातियों और दलितों को अगले 100 वर्षों तक कॉर्पोरेट घराने खड़ा करना मुश्किल होगा.
यह बयान ऐसे समय आया जब नवारो ने अमेरिका के एक टीवी साक्षात्कार में भारत पर रूस से कच्चे तेल की खरीद के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को वित्तपोषित करने का आरोप लगाया था. नवारो ने कहा था कि भारत "टैरिफ का महाराजा" है और उसकी व्यापार नीति से अमेरिकी मजदूर और करदाता प्रभावित हो रहे हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस और चीन के साथ संबंधों पर भी सवाल उठाए.
भारत रोजवना कितना पेट्रोलियम का निर्यात करता है?
नवारो का कहना था कि भारत प्रतिदिन 10 लाख बैरल से अधिक परिष्कृत पेट्रोलियम का निर्यात करता है, जिसमें से आधे से ज़्यादा कच्चा तेल रूस से आयातित होता है. उनके मुताबिक, इस मुनाफे का फायदा भारत के राजनीतिक रूप से जुड़े बड़े उद्योगपतियों को मिलता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से रूस के युद्ध कोष को मज़बूत करता है.
उदित राज ने इस बयान को सही ठहराते हुए कहा कि कॉर्पोरेट ढांचा उच्च जातियों के नियंत्रण में है और इसका लाभ उन्हीं तक सीमित रहता है. उन्होंने दोहराया कि सामाजिक विषमता और जातिगत भेदभाव के कारण हाशिये पर खड़े समुदायों को बराबरी का अवसर मिलने में लंबा समय लगेगा.
अमेरिका और भारत के बीच तनाव
गौरतलब है कि अमेरिका और भारत के बीच हाल ही में तनाव बढ़ा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस से कच्चे तेल के आयात को रोकने से भारत के इनकार के बाद मौजूदा 25 प्रतिशत टैरिफ के ऊपर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की थी. नई दिल्ली ने अपनी ऊर्जा खरीद को वैश्विक बाजार की सामान्य प्रक्रिया बताते हुए अमेरिकी आरोपों को खारिज किया है.


