दिल्ली-कोलकाता छह लेन एक्सप्रेसवे तैयार, जानें परियोजना लागत और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां
नितिन गडकरी ने कहा कि झारखंड में 2014 में 2,600 किलोमीटर का राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क था.जो अब 4,470 किलोमीटर हो गया है.उन्होने ने कहा कि राज्य के विकास के लिए अब राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क से जुड़ चुके हैं.

Delhi-Kolkata Expressway: भारत की सड़क परिवहन व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए दिल्ली-कोलकाता छह लेन एक्सप्रेसवे का निर्माण तेजी से चल रहा है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में झारखंड एक रैली में कहा कि दिल्ली-कोलकता 31,700 करोड़ रूपये की छह लेन वाली कॉरिडोर जून 2026 तक पूर्ण हो जाएगी. जो देश की राजधानी दिल्ली को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता को जोड़ेगी. इस परियोजना से न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि व्यापार और आर्थिक विकास को भी नई गति मिलेगी. यह ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के प्रमुख शहरों को आपस में जोड़ेगा. जिससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में सुधार होगा. इस परियोजना का उद्देश्य दिल्ली और कोलकाता के बीच की यात्रा को ज्यादा आसान और तीव्र बनाना है. जिससे यात्रियों और कारोबारियों को समान रूप से लाभ होगा.
परियोजना की लागत
दिल्ली-कोलकाता छह लेन एक्सप्रेसवे परियोजना की कुल अनुमानित लागत 31,700 करोड़ रुपये है, जैसा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने झारखंड में अपने बयान में कहा. “केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने झारखंड में कहा कि दिल्ली-कोलकाता के बीच 31,700 करोड़ रुपये की लागत से छह लेन वाली कॉरिडोर परियोजना का काम जून 2026 तक पूरा हो जाएगा,”. इस लागत में भूमि अधिग्रहण, निर्माण कार्य और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास शामिल हैं. यह निवेश न केवल सड़क निर्माण में, बल्कि क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
यात्रा समय में कमी
वर्तमान में दिल्ली से कोलकाता की सड़क यात्रा में लगभग 23-24 घंटे लगते हैं. जो एनएच-19 के माध्यम से पूरी होती है. इस नए एक्सप्रेसवे के निर्माण के बाद यह यात्रा समय घटकर केवल 17 घंटे हो जाएगा. यह कमी यात्रियों के लिए समय की बचत के साथ-साथ लॉजिस्टिक्स और व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण होगी. “अधिकारियों के मुताबिक, वाराणसी-कोलकाता एक्सप्रेसवे के इस प्रोजेक्ट को साल 2026 तक पूरा करने की उम्मीद है. यह इस यात्रा के समय को 6-7 घंटे तक कम कर देगा,”.
क्षेत्रीय विकास और कनेक्टिविटी
यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कई शहरों को जोड़ेगा. जिससे इन क्षेत्रों में व्यापार, पर्यटन और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. विशेष रूप से, यह परियोजना छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों को बड़े महानगरों से जोड़कर उनकी आर्थिक संभावनाओं को बढ़ाएगी. चंदौली के डिविजनल कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने कहा, “एक्सप्रेसवे के लिए जमीन का प्रारंभिक सीमांकन वाराणसी के पास चंदौली में किया गया है. लेकिन एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट का इंतजार है. चंदौली प्रशासन को इसे जल्द से जल्द पूरा करने को कहा गया है”.


