'शराबियों को बुलाया इफ्तार में', थलपति विजय पर मुस्लिम संस्था ने जारी किया फतवा
उत्तर प्रदेश के एक मुस्लिम धर्मगुरु ने अभिनेता-राजनेता थलपति विजय के खिलाफ फतवा जारी किया है. सुन्नी उलेमा ने तमिलगा वेत्री कझगम के प्रमुख पर इस्लाम विरोधी आचरण और राजनीतिक अवसरवाद का आरोप लगाया है.

उत्तर प्रदेश के बरेली से एक बड़ा धार्मिक और राजनीतिक विवाद सामने आया है. ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष और चश्मे दारुल इफ्ता के मुख्य मुफ़्ती मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी ने तमिलनाडु के मशहूर अभिनेता और हाल ही में राजनीति में कदम रखने वाले थलपति विजय के खिलाफ़ फतवा जारी किया है. यह फतवा एक सवाल के जवाब में जारी किया गया, जिसमें अभिनेता की कथित मुस्लिम विरोधी छवि और गतिविधियों पर सवाल उठाया गया था.
मौलाना रज़वी ने अपने बयान में आरोप लगाया कि थलपति विजय मुस्लिम भावनाओं का राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि विजय का अतीत मुस्लिम विरोधी गतिविधियों से भरा हुआ है और उन्होंने फिल्मों में इस्लाम और मुसलमानों को नकारात्मक रूप से पेश किया है. विशेष रूप से उन्होंने विजय की फिल्म 'द बीस्ट' का हवाला दिया, जिसमें कथित रूप से मुसलमानों को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश की गई है.
विजय की नीयत पर उठे सवाल, फतवा जारी
मौलाना ने कहा, “फिल्मों में मुसलमानों को 'राक्षस' और 'शैतान' की तरह दिखाया गया है, और अब जब वे राजनीति में आए हैं और मुस्लिम वोटों की ज़रूरत है, तो वे तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं.” उन्होंने इसे एक दोहरे चेहरे वाली रणनीति बताया और मुसलमानों से सतर्क रहने की अपील की.
विवादित इफ्तार पार्टी पर भड़के मौलाना
फतवे में यह भी ज़िक्र किया गया कि विजय थलपति ने रमजान के दौरान एक इफ्तार पार्टी आयोजित की थी, जिसमें कथित तौर पर शराबी और उपद्रवी तत्वों को आमंत्रित किया गया. मौलाना रज़वी के अनुसार, यह रमजान की पवित्रता और इस्लामी नियमों का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जो रोज़ा नहीं रखते और न ही इस्लामी परंपराओं का पालन करते हैं, उन्हें धार्मिक आयोजनों में शामिल करना हराम और गुनाह है.
स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज
मौलाना ने यह भी बताया कि तमिलनाडु के कुछ मुसलमानों ने इस मुद्दे को लेकर स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. साथ ही उन्होंने राज्य के सुन्नी मुसलमानों से अपील की कि वे विजय थलपति से दूरी बनाए रखें, उनके आयोजनों में भाग न लें और न ही उन्हें किसी धार्मिक कार्यक्रम में बुलाएं.
यह मामला अब धार्मिक भावनाओं और राजनीति के बीच टकराव का रूप ले चुका है, जिससे तमिलनाडु की राजनीति और फिल्म जगत दोनों में हलचल मच गई है.


