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विपक्ष के निशाने पर रहने वाली ED, FATF ने सराहा इसका दमदार कदम

ED और अमेरिकी एजेंसियों ने मिलकर एक विशाल ड्रग तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. जिसका कारोबार 150 मिलियन डॉलर, यानी करीब 1,250 करोड़ रुपये के ड्रग्स से जुड़ा था. इस कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने खूब सराहा है और इसे अपनी बेस्ट-प्रैक्टिस केस स्टडी में शामिल किया है.

Goldi Rai
Edited By: Goldi Rai

ED International Cooperation: देश में भले ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) पर राजनीतिक विरोधी सवाल उठाते रहे हों. लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कार्यशैली को बड़ी सराहना मिल रही है. मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग पर निगरानी रखने वाली प्रतिष्ठित संस्था FATF ने भारत और अमेरिका की एजेंसियों की एक संयुक्त कार्रवाई को अपनी नई रिपोर्ट में आदर्श उदाहरण के रूप में शामिल किया है. FATF की ताजा हैंडबुक ऑन इंटरनेशनल को ऑपरेशन अगेंस्ट मनी लॉन्ड्रिंग में भारत की ईडी द्वारा की गई ग्लोबल ड्रग नेटवर्क की जांच को बेस्ट प्रैक्टिस केस स्टडी के रूप में चुना गया है. इस ऑपरेशन में करोड़ों की मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा हुआ और डार्कनेट पर चल रहे एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट को ध्वस्त किया गया.

इस केस में प्रवर्तन निदेशालय ने हल्दवानी के रहने वाले बनमीत सिंह को 26 अप्रैल और उनके भाई परमिंदर सिंह को 1 मई 2024 को गिरफ्तार किया था. दोनों भाइयों पर आरोप है कि इन्होंने डार्क वेब और फ्री वेबसाइट्स के जरिए ड्रग्स बेचकर भारी मुनाफा कमाया. बिटकॉइन में पेमेंट लेने के बाद उसे भारतीय बैंक खातों में ट्रांसफर कर मनी लॉन्ड्रिंग की जाती थी. FATF की रिपोर्ट के अनुसार ये गिरोह करीब 8,500 बिटकॉइन को नियंत्रित करता था. जिसकी उस समय कीमत लगभग 150 मिलियन डॉलर यानी ₹1,250 करोड़ बताई जा रही है.

कहा तक फैला था ड्रग सप्लाई का जाल?

FATF के मुताबिक यह नेटवर्क सिर्फ भारत तक सीमित नहीं था. अमेरिका के सभी 50 राज्यों में इनके वितरण केंद्र सक्रिय थे. इसके अलावा कनाडा, इंग्लैंड, आयरलैंड, जमैका, स्कॉटलैंड और यूएस वर्जिन आइलैंड्स तक भी ड्रग्स भेजे जा रहे थे. ऑनलाइन म्युचुअल असिस्टेंस पोर्टल के माध्यम से अमेरिकी एजेंसियों के साथ रियल टाइम सूचना साझा की गई जिससे तेजी से कार्रवाई संभव हो सकी. इस संयुक्त प्रयास से कई अंतरराष्ट्रीय कड़ियों का पर्दाफाश हुआ.

क्रिप्टो और डार्क वेब से क्या था कनेक्शन

इस कार्रवाई में कानूनी और साइबर जांच से यह भी सामने आया कि आरोपी भाइयों ने क्रिप्टो एक्सचेंजों और डार्क वेब प्लेटफॉर्म्स के जरिए बड़ी रकम छुपाई. FATF की रिपोर्ट में बताया गया कि औपचारिक कानूनी प्रक्रियाओं (MLA) की बजाय इस केस में तेज सूचना साझा करने सहयोग और संयुक्त विश्लेषण जैसे गैर-परंपरागत तरीकों से जांच को बेहद सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया.

भारत का डिजिटल पोर्टल भी बना उदाहरण

भारत सरकार ने इस दिशा में एक और पहल की है. गृह मंत्रालय ने एक ऑनलाइन Mutual Legal Assistance पोर्टल लॉन्च किया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय जांच में सहयोग तेज, पारदर्शी और सुविधाजनक हो सके. साथ ही PMLA और CrPC के तहत स्पष्ट दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं ताकि जांच एजेंसियों को सुव्यवस्थित सहयोग मिल सके.

FATF की हैंडबुक ने क्या कहा?

FATF ने कहा कि इस केस में औपचारिक प्रक्रिया से अलग हटकर सूचना का तेज आदान-प्रदान और सहयोग ने जांच को त्वरित और प्रभावशाली बना दिया. यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक बेहतरीन उदाहरण है.

भारत की ईडी को लेकर भले ही आंतरिक राजनीतिक बहसें चलती रहती हों लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर FATF जैसी संस्था से मिली मान्यता और प्रशंसा यह साबित करती है कि एजेंसी मनी लॉन्ड्रिंग और अंतरराष्ट्रीय अपराध के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई कर रही है. इस संयुक्त ऑपरेशन ने वैश्विक स्तर पर भारत की जांच क्षमता और कानून प्रवर्तन दक्षता को नई ऊंचाई दी है.

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07 September 2025, 11:33 AM IST

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