जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे... ऑपरेशन सिंदूर में छिपी हनुमान जी की प्रेरणा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया

ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने पहलगाम हमले का करारा जवाब दिया, जिसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हनुमान जी से प्रेरित बताते हुए रामचरितमानस की चौपाई से जोड़ा.

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर पूरे देश में चर्चा तेज है. इस ऑपरेशन के जरिए भारतीय सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब दिया है. इस मिशन की सफलता पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना की सराहना करते हुए कहा कि ये अभियान हनुमान जी के आदर्शों से प्रेरित था. उन्होंने रामचरितमानस की सुंदरकांड से एक महत्वपूर्ण चौपाई का हवाला देते हुए कहा कि जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे यानी जो हमें मारे, हम उन्हें मारते हैं.

राजनाथ सिंह के इस बयान के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि भारत की सैन्य कार्रवाई सिर्फ प्रतिशोध नहीं, बल्कि एक नैतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी प्रेरित रही है. सुंदरकांड में वर्णित हनुमान जी के पराक्रम को इस अभियान के प्रतीक रूप में देखा जा रहा है.

रामचरितमानस की चौपाई और ऑपरेशन सिंदूर की समानता

रक्षा मंत्री ने जिस चौपाई का उल्लेख किया, वो उस प्रसंग से जुड़ी है जब हनुमान जी माता सीता की खोज में लंका पहुंचे थे. वहां अशोक वाटिका में राक्षसों ने उन पर हमला किया, जिसके बाद हनुमान जी ने प्रतिकार करते हुए लंका का दहन किया. उन्होंने कहा था- जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे, तेहि पर बांधेउ तनय तुम्हारे. यानी कि जिन्होंने मुझे मारा, मैंने उन्हीं को मारा. और जिनके बेटे ने मुझे बांधा, मुझे उसकी कोई शर्म नहीं, क्योंकि मैं तो प्रभु राम का कार्य करने आया हूं.

कैसे लंका पहुंचकर किया था पराक्रम का प्रदर्शन?

हनुमान जी ने समुद्र पार कर लंका की सीमा में प्रवेश किया और अशोक वाटिका में माता सीता से मुलाकात की. उन्होंने श्रीराम का संदेश दिया और सीता माता की अनुमति लेकर फल खाने लगे. इसके बाद राक्षसों ने हमला कर दिया. जब बात बढ़ी तो रावण ने अपने पुत्र अक्षय कुमार को भेजा, जिसे हनुमान जी ने मार गिराया.

ब्रह्मास्त्र से हुए बंदी, फिर भी डिगे नहीं संकल्प से

इसके बाद, मेघनाथ ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर हनुमान जी को बंदी बना लिया और उन्हें रावण के दरबार में प्रस्तुत किया गया. रावण ने उनसे पूछा कि अशोक वाटिका क्यों उजाड़ी? इस पर हनुमान जी का जवाब था – मोहि न कछु बांधे कई लाजा, कीन्ह चहउ निज प्रभु कर काजा. यानि, मुझे बंदी बनाने में कोई अपमान नहीं, क्योंकि मैं तो अपने प्रभु राम का कार्य पूरा करने आया हूं.

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी प्रेरित रहा ऑपरेशन

राजनाथ सिंह के बयान ने ये स्पष्ट किया कि भारत का ये अभियान सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि वह भारतीय संस्कृति, शौर्य और धार्मिक आस्था से प्रेरित था. हनुमान जी की तरह, भारतीय सैनिकों ने भी पहले हमला नहीं किया, लेकिन जवाब जरूर दिया और ऐसा जवाब दिया कि दुश्मन याद रखे.

नोट: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक ग्रंथों और लोक आस्थाओं पर आधारित हैं. Jbt.com इसकी पुष्टि नहीं करता है. 

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09 May 2025, 07:55 PM IST

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