कैसे करें युद्ध वाले सायरन की पहचान, कितनी अलग होती है आवाज? जानें सबकुछ
भारत-पाक सीमा पर तनाव के बीच केंद्र सरकार ने नागरिकों को युद्धकालीन सायरन की पहचान और सावधानियों के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए हैं. मुंबई और श्रीनगर में मॉक ड्रिल्स आयोजित की गईं, जबकि कई राज्य 7 मई को अभ्यास करेंगे. सायरन का उद्देश्य हवाई हमले, ब्लैकआउट और सिविल डिफेंस की तैयारी की सूचना देना है. इसकी तेज आवाज़ हमले से पहले सतर्क करने के लिए होती है. नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर जाने और शांत रहने की सलाह दी गई है.

भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव के मद्देनज़र भारत सरकार ने नागरिक सुरक्षा को लेकर अहम निर्णय लिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे जनता को युद्धकालीन सायरन की पहचान और उस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के प्रति जागरूक करें. इसी कड़ी में देश के कई हिस्सों में मॉक ड्रिल्स की शुरुआत हो चुकी है.
मुंबई और श्रीनगर में हुई मॉक ड्रिल
मुंबई के दादर इलाके में स्थित एंटनी डिसिल्वा हाई स्कूल में युद्ध जैसी स्थिति का अभ्यास किया गया. वहां युद्धकालीन सायरन बजाकर तैयारियों का आकलन किया गया. कुछ समय तक स्कूल में सायरन की तेज आवाज गूंजती रही, जिससे बच्चों और स्थानीय लोगों को इसकी आदत डलवाई जा सके. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में प्रसिद्ध डल झील के पास भी इसी तरह की मॉक ड्रिल की गई.
देशभर में बड़े पैमाने पर अभ्यास की तैयारी
गृह मंत्रालय के आदेश के बाद कई राज्यों ने 7 मई को मॉक ड्रिल की योजना बनाई है. इनमें गुजरात, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे सीमावर्ती राज्य प्रमुख हैं. इस अभ्यास का मकसद युद्ध जैसी स्थिति में नागरिकों को जागरूक और तैयार बनाना है.
क्या है युद्ध सायरन बजाने का उद्देश्य?
युद्ध के समय सायरन का इस्तेमाल कई प्रकार की चेतावनियों के लिए किया जाता है. इनमें प्रमुख हैं:
- हवाई हमले की सूचना: दुश्मन के एयर स्ट्राइक से पहले चेतावनी देने के लिए.
- सिविल डिफेंस की जांच: नागरिक सुरक्षा दल की तत्परता की परख.
- ब्लैकआउट अभ्यास: हमले के समय सभी लाइटें बंद कर के शहर को अदृश्य करना.
- कम्युनिकेशन जांच: कंट्रोल रूम और रेडियो संचार प्रणाली की कार्यक्षमता सुनिश्चित करना.
सायरन सुनने पर क्या करना चाहिए?
- तुरंत नजदीकी सुरक्षित स्थान पर जाएं.
- पांच से दस मिनट के भीतर सेफ ज़ोन में पहुंचने का प्रयास करें.
- घबराएं नहीं, शांति बनाए रखें.
- खुले मैदानों या खुले स्थानों से दूर रहें.
- टीवी और रेडियो पर दिए गए निर्देशों को ध्यान से सुनें.
कैसे पहचानें युद्धकालीन सायरन को?
युद्ध का सायरन सामान्य अलार्म से अधिक तेज और अलग होता है. यह सायरन 120 से 140 डेसिबल तक की आवाज़ उत्पन्न कर सकता है, जो कि 2 से 5 किलोमीटर तक आसानी से सुना जा सकता है. इसकी ध्वनि आम एंबुलेंस सायरन से भिन्न होती है और इसका मकसद हमले से पहले लोगों को सतर्क करना होता है.


