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बिना सीमेंट के कैसे बनकर तैयार हुए ताजमहल, लाल किला और कुतुमीनार?

Historical buildings: भारत की ऐतिहासिक इमारतें न केवल अपनी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं, बल्कि इनका निर्माण ऐसे समय में हुआ था जब आधुनिक निर्माण सामग्री जैसे सीमेंट का अस्तित्व भी नहीं था. ताजमहल, कुतुबमीनार और लाल किला जैसी संरचनाएं आज भी अपनी मजबूती और सुंदरता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं. इन इमारतों के निर्माण में उपयोग की गई तकनीक और सामग्री आज भी एक रहस्य बनी हुई है.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Historical buildings: भारत में कई ऐतिहासिक और संरचनात्मक धरोहरें ऐसी हैं, जिनकी निर्माण कला और तकनीक आज भी एक रहस्य बनी हुई है. इन इमारतों को देखकर यह लगता है कि उन समयों के कारीगरों में कितनी अद्भुत वैज्ञानिकता और रचनात्मकता थी. दुनिया की कुछ प्रसिद्ध संरचनाओं जैसे ताजमहल, कुतुबमीनार और लाल किला, जो सदियों पुरानी हैं, आज भी अपनी दृढ़ता और संरचनात्मक मजबूती के लिए प्रसिद्ध हैं. इन इमारतों के निर्माण में इस्तेमाल की गई तकनीकों और सामग्रियों पर आजकल शोध जारी है, ताकि यह पता चल सके कि कैसे बिना सीमेंट के यह अद्भुत संरचनाएं खड़ी हैं.

इन प्राचीन इमारतों के निर्माण में सीमेंट का इस्तेमाल न होने के बावजूद, आज भी यह इमारतें भूकंप और प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव से अछूती हैं. यह सवाल उठता है कि आखिर बिना सीमेंट के इन इमारतों को कैसे खड़ा किया गया होगा? चलिए जानते हैं इन इमारतों के निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्री और तकनीकों के बारे में.

ताजमहल का निर्माण: (1632-1653)

ताजमहल का निर्माण दुनिया के सात अजूबों में से एक है. इसे बनाने के लिए राजस्थान के मकराना से संगरमरमर लाया गया था, जो इसकी खूबसूरती और मजबूती का मुख्य कारण है. इस भव्य स्मारक के निर्माण में ईंटें, मीठा चूना पत्थर, खरपरेल, गोंद, लाल मिट्टी और कांच का इस्तेमाल किया गया था. इन सामग्रियों को मिलाकर एक विशेष मोर्टार तैयार किया गया, जो आज के सीमेंट से कहीं अधिक मजबूत और टिकाऊ था. पत्थरों को जोड़ने के लिए गुड़, बताशे, बेलगिरी का पानी, उड़द की दाल, दही, जूट और कंकड़ जैसी सामग्री का मिश्रण किया गया था. इस मोर्टार का समय के साथ मजबूत होना, ताजमहल की संरचना की मजबूती का एक महत्वपूर्ण कारण रहा है. ताजमहल के कीमती पत्थरों को 'Pietra Dura Technique' के माध्यम से जड़ा गया था. इसके अलावा, ताजमहल की नींव को कुओं और मेहराबों से मजबूत किया गया था, जिससे इसकी स्थिरता बनी रही.

कुतुब मीनार का निर्माण: (1199-1220)

कुतुब मीनार का निर्माण क़ुतुब-उद-दीन ऐबक द्वारा शुरू कराया गया था और इसका कार्य इल्तुतमिश ने पूरा किया. यह मीनार लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनी हुई है. कुतुबमीनार की तीन मंजिलें लाल बलुआ पत्थर से बनी हैं, जबकि आखिरी दो मंजिलें संगमरमर और बलुआ पत्थर से मिलकर बनी हैं. कुतुबमीनार को बनाने में उपयोग की गई सामग्री और उसका नक्काशीदार शिल्प इसे एक अद्वितीय संरचना बनाते हैं.

लाल किला का निर्माण: (1638-1648)

दिल्ली के लाल किले का निर्माण एक प्रमुख ऐतिहासिक घटना है. इसे बनाने के लिए चूने के गारे और लाल बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया था. लाल किला भी शिल्पकला और कारीगरी का एक बेहतरीन उदाहरण है, जहां शिल्पकारों ने हाथों से सुंदर नक्काशी की थी. यह किला अपने स्थापत्य और रचनात्मक डिज़ाइन के लिए प्रसिद्ध है और आज भी दिल्ली की पहचान है.

क्या पुराने तरीके बेहतर थे?

आजकल जब हम ऊंची इमारतें और ढांचों का निर्माण करते हैं, तो सीमेंट और आधुनिक सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन, जैसे ही प्राकृतिक आपदा आती है, ये इमारतें आसानी से मलबे में तब्दील हो जाती हैं. वहीं, प्राचीन कारीगरों द्वारा इस्तेमाल किए गए प्राकृतिक और स्थिर सामग्रियों से बनी इमारतें अब भी मजबूती से खड़ी हैं. अगर हम आज भी इन पुराने तरीकों को अपनाएं, तो हम अधिक टिकाऊ और मजबूत इमारतों का निर्माण कर सकते हैं.

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26 January 2025, 12:31 PM IST

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