अगर बंगाल में आतंकवादी हैं, तो क्या पहलगाम में हमला आपने कराया? ममता बनर्जी का अमित शाह पर पलटवार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलते हुए पहलगाम आतंकी घटना, घुसपैठ और मतदाता सूची संशोधन पर सवाल उठाए. 2026 चुनाव से पहले बंगाल की राजनीति और अधिक टकरावपूर्ण होती दिख रही है.

कोलकाताः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा राजनीतिक प्रहार किया है. बांकुरा जिले के बीरसिंहपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ममता ने न सिर्फ केंद्र सरकार के आरोपों को खारिज किया, बल्कि पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए. उनके बयानों से साफ है कि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले बंगाल की राजनीति और ज्यादा गरमाने वाली है.
पहलगाम हमले पर केंद्र से सवाल
अमित शाह द्वारा यह आरोप लगाए जाने के बाद कि पश्चिम बंगाल में आतंकी नेटवर्क सक्रिय हैं, ममता बनर्जी ने पलटवार करते हुए पूछा कि अगर आतंकवाद की जड़ें बंगाल में हैं, तो फिर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में इतना बड़ा आतंकी हमला कैसे हुआ. उन्होंने मंच से कहा कि अगर कश्मीर में स्थिति नियंत्रण में है, तो पहलगाम जैसी घटना की जिम्मेदारी किसकी है. ममता ने दिल्ली में हुए हमले का भी हवाला देते हुए पूछा कि उन घटनाओं के पीछे कौन जिम्मेदार था.
महाभारत के पात्रों से की तुलना
ममता बनर्जी ने अपने भाषण में प्रतीकात्मक भाषा का इस्तेमाल करते हुए अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी की तुलना महाभारत के खलनायक पात्रों से की. उन्होंने कहा कि जैसे ही चुनाव नजदीक आते हैं, दुर्योधन और दुशासन की तरह कुछ चेहरे सामने आने लगते हैं. ममता ने व्यंग्य करते हुए यह भी कहा कि “शकुनी का शिष्य” बंगाल में केवल जानकारी जुटाने आया है. यह टिप्पणी सीधे तौर पर अमित शाह के हालिया बंगाल दौरे की ओर इशारा मानी जा रही है.
घुसपैठ का मुद्दा
इससे पहले दिन में अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि 2026 के बंगाल चुनाव अवैध घुसपैठ के मुद्दे पर लड़े जाएंगे. उन्होंने ममता सरकार पर आरोप लगाया कि बांग्लादेश सीमा पर बाड़ लगाने के लिए जरूरी जमीन उपलब्ध नहीं कराई गई. ममता ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि रेलवे और सीमा से जुड़ी परियोजनाओं के लिए राज्य सरकार पहले ही जमीन उपलब्ध करा चुकी है, जिनमें पेट्रापोल और चांगराबंदा जैसे इलाके शामिल हैं.
मतदाता सूची संशोधन पर गंभीर आरोप
मुख्यमंत्री ने मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) को लेकर भी केंद्र और चुनाव आयोग पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के नाम पर गरीब और हाशिए पर पड़े लोगों को परेशान किया जा रहा है. ममता का दावा है कि करीब डेढ़ करोड़ नाम मतदाता सूची से हटाने की योजना बनाई जा रही है, जिससे राजबंशी, मतुआ और आदिवासी समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. उन्होंने इसे बंगालियों को मताधिकार से वंचित करने की साजिश करार दिया.
एसआईआर को बताया बड़ा घोटाला
ममता बनर्जी ने एसआईआर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल को भी सवालों के घेरे में रखा और इसे “बड़ा घोटाला” बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के दौरान कई अधिकारी मानसिक दबाव में आकर आत्महत्या तक कर चुके हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसी भी वैध मतदाता का नाम हटाया गया, तो तृणमूल कांग्रेस चुनाव आयोग के कार्यालय का घेराव करेगी.
बंगाली प्रवासी मजदूरों पर हमले का मुद्दा
मुख्यमंत्री ने अन्य राज्यों में बंगाली प्रवासी मजदूरों के खिलाफ कथित अत्याचारों का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने ओडिशा के संबलपुर में एक युवा मजदूर की भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या की घटना का जिक्र किया और कहा कि बंगालियों को निशाना बनाया जा रहा है. ममता ने यह भी कहा कि अगर राज्य सरकार चाहती, तो कोलकाता में ओडिशा के अतिथि गृह का विरोध किया जा सकता था.
आने वाले महीनों में और तेज होगी सियासी जंग
भाजपा द्वारा बंगाल में सत्ता परिवर्तन की कोशिशों के बीच ममता बनर्जी के आक्रामक तेवर साफ संकेत देते हैं कि राज्य में राजनीतिक मुकाबला और तीखा होगा. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे, केंद्र और राज्य के बीच आरोप-प्रत्यारोप की यह लड़ाई और तेज होने की संभावना है.


