भारत ने US से हथियार खरीद पर लगाई रोक, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अमेरिकी यात्रा टली
भारत ने ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने के बाद 31,500 करोड़ रुपये की अमेरिकी हथियार और विमान खरीद योजना फिलहाल रोक दी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की वाशिंगटन यात्रा रद्द कर दी गई. भारत ने टैरिफ पर अमेरिका से बातचीत जारी रखने की बात कही है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए अमेरिकी हथियार और विमान खरीदने की अपनी बड़ी योजना को फिलहाल रोक दिया है. इस प्रस्तावित डील के तहत भारत को P-8I पोसीडन विमान, स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल्स और एंटी-मिसाइल टैंक खरीदने थे, जिसकी कुल अनुमानित कीमत लगभग 31,500 करोड़ रुपये थी. इस डील पर चर्चा के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की वाशिंगटन यात्रा तय थी, लेकिन अब इसे स्थगित कर दिया गया है.
सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया गया कि यह फैसला ट्रंप द्वारा भारत के निर्यात पर भारी टैरिफ लगाने के बाद लिया गया है. यह कदम ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ा हुआ है.
नए शुल्क के बाद भारतीय निर्यात पर कुल टैरिफ 50%
दरअसल, 6 अगस्त को ट्रंप ने भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने के मुद्दे पर भारतीय वस्तुओं पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. उनका आरोप था कि भारत रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन पर रूस के हमले को अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक सहयोग दे रहा है. इस नए शुल्क के बाद भारतीय निर्यात पर कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया, जो अमेरिका के किसी भी अन्य व्यापारिक साझेदार पर लगाए गए शुल्क से अधिक है.
ट्रंप के टैरिफ नीतियों में अचानक बदलाव का इतिहास रहा है. भारत भी इस बात से वाकिफ है. भारत सरकार का कहना है कि वह वाशिंगटन के साथ वार्ता में सक्रिय रूप से शामिल है और टैरिफ तथा द्विपक्षीय संबंधों की दिशा साफ होने के बाद रक्षा सौदों पर आगे बढ़ा जा सकता है.
रक्षा मंत्रालय और पेंटागन से मांगी गई प्रतिक्रिया
भारत ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसे अनुचित रूप से निशाना बनाया जा रहा है, जबकि अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी अपने हित में रूस के साथ व्यापार जारी रखते हैं. रक्षा मंत्रालय और पेंटागन से इस मामले पर प्रतिक्रिया मांगी गई है, लेकिन अभी तक किसी की ओर से आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है.
यह घटनाक्रम भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग पर असर डाल सकता है, जो पिछले कुछ वर्षों में लगातार मजबूत हुआ था. साथ ही, यह संदेश भी देता है कि भारत व्यापार और कूटनीतिक दबाव का जवाब आर्थिक और रणनीतिक फैसलों के जरिए देने में सक्षम है.


