score Card

भारत-चीन सीमा विवाद सुलझाने की दिशा में बड़ा कदम, लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता से कम होगा तनाव

भारत और चीन के रिश्तों में नए अध्याय की शुरुआत होने जा रही है. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात से सीमा पर लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता शुरू करने और हवाई सेवाओं को बहाल करने जैसे बड़े फैसले लिए जाने की उम्मीद है. इससे दोनों देशों के बीच तनाव कम होने और संबंध सामान्य होने की दिशा में सकारात्मक कदम बढ़ेगा.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

India-China Border tension: भारत और चीन के रिश्तों में नई गर्माहट देखने को मिल सकती है. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात 31 अगस्त से 1 सितंबर को तियानजिन में होने वाली है. इस मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करने की दिशा में अहम कदम उठाए जाएंगे. इनमें लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बॉर्डर पर्सनल मीटिंग (BPM) तीन सेक्टरों में शुरू करना और हवाई सेवाओं को बहाल करना शामिल है.

विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों की यह पहल सीमा पर तनाव कम करने और द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने में मदद करेगी. अब तक केवल 14वीं कोर कमांडर और शिनजियांग मिलिट्री डिवीजन कमांडर के बीच चुशूल (पूर्वी लद्दाख) में जनरल स्तर की वार्ता होती थी. लेकिन 19 अगस्त को हुई 24वें दौर की स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव वार्ता में सीमा पर संवाद को लेफ्टिनेंट जनरल-मेजर जनरल स्तर तक बढ़ाने का फैसला लिया गया.

तीनों सेक्टरों में होगी उच्च स्तरीय वार्ता

नई व्यवस्था के तहत भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के बीच चुशूल, नाथू ला और किबुथू या यांग्त्से (पश्चिमी, मध्य और पूर्वी सेक्टर) में लेफ्टिनेंट जनरल-मेजर जनरल स्तर की बैठकें होंगी. यह निर्णय सैन्य संवाद को और मजबूत करेगा तथा सीमा पर विवादों के समाधान की प्रक्रिया को तेज करेगा.

शी जिनपिंग-मोदी मुलाकात के बाद तय होंगी तारीखें

हालांकि दोनों पक्षों ने औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है कि तियानजिन में मोदी-शी मुलाकात के बाद वार्ता की तारीखों का ऐलान किया जाएगा. एक चीन विशेषज्ञ के अनुसार, "यदि साल में छह दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता होती है, तो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सभी विवाद वास्तविक समय में सुलझ सकते हैं. और यदि सीमा पर शांति बनी रहती है, तो द्विपक्षीय संबंध भी तेजी से मजबूत होंगे."

अमेरिका के दबाव में आ रहे करीब

भारत और चीन के बीच यह नजदीकी ऐसे समय में बढ़ रही है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों देशों पर व्यापारिक दबाव बना रहे हैं. भारत पर 27 अगस्त से 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा, जिससे कुल शुल्क 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा. वहीं, चीन पहले ही 54 प्रतिशत टैरिफ का सामना कर रहा है. इस पृष्ठभूमि में भारत-चीन दोनों को लगता है कि उन्हें एक-दूसरे के करीब आकर अपने बाज़ारों की रक्षा करनी होगी.

भारत के लिए चुनौतीपूर्ण संतुलन

19 अगस्त को विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी की मुलाकात के दौरान भी अमेरिका ही हाथी की तरह कमरे में मौजूद था. भारत यह मानता है कि चीन के साथ उसकी सीमित नजदीकियां ही संभव हैं, लेकिन अमेरिका की नीतियों ने नई दिल्ली को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वाशिंगटन पर पूरी तरह भरोसा करना सही नहीं है. एक विश्लेषक का कहना है कि 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाकर ट्रंप प्रशासन ने भारत-अमेरिका रिश्तों को ठंडा कर देने का इंतजाम कर दिया है.

calender
24 August 2025, 10:29 AM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag