भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद पर फिलहाल रोक लगाई! अमेरिकी टैरिफ का असर
भारत ने रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद पर फिलहाल रोक लगा दी है, जिससे अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक दबाव का असर साफ दिख रहा है. विशेषज्ञ इसे भारत की ऊर्जा कूटनीति में बड़ा बदलाव मान रहे हैं.

अमेरिका द्वारा भारत के निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने के बाद अब इसका असर तेल व्यापार पर साफ़ दिखाई देने लगा है. भारत की प्रमुख सरकारी तेल कंपनियों इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम (HPCL) ने फिलहाल रूस से स्पॉट मार्केट में कच्चे तेल की खरीद को रोक दिया है. ये निर्णय विशेष रूप से अक्टूबर महीने की लोडिंग के लिए लिया गया है और तब तक लागू रहेगा जब तक भारत सरकार इस संबंध में कोई स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं देती.
औपचारिक रूप से नहीं रोका
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस टैरिफ फैसले को रूस-यूक्रेन युद्ध के दबाव में लिया गया कदम माना जा रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कार्रवाई भारत द्वारा लगातार रूसी तेल की खरीद जारी रखने के विरोध में की गई है. हालांकि भारत सरकार ने अब तक तेल कंपनियों को रूस से खरीदने से औपचारिक रूप से नहीं रोका है, लेकिन उन्होंने कंपनियों को सलाह दी है कि वे वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की तैयारी रखें.
भारत की तेल कंपनियां आमतौर पर 1.5–2 महीने पहले की खरीद योजनाएं बनाती हैं. इस समय अक्टूबर के लिए योजनाएं बन रही थीं, लेकिन रूसी उरल्स ग्रेड तेल की कीमतों और अमेरिका के दबाव के चलते स्पॉट डील से कंपनियों ने पीछे हटना शुरू कर दिया है.
जानकारों का मानना है कि यदि भारत रूस से तेल खरीद में कटौती करता है तो अमेरिका, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के अन्य उत्पादकों से तेल की मांग बढ़ेगी. वहीं रूस संभवतः चीन को और अधिक छूट पर कच्चा तेल बेचने की कोशिश करेगा, हालांकि चीन उरल्स ग्रेड बहुत सीमित मात्रा में खरीदता है.
निजी कंपनियां नहीं दे रहीं बयान
रूस का उरल्स ग्रेड एक मध्यम-भारी, सल्फर युक्त कच्चा तेल है जिसका उपयोग मुख्य रूप से रिफाइनरियों में होता है. यूक्रेन युद्ध से पहले भारत इस ग्रेड की खरीद नहीं करता था, लेकिन युद्ध के बाद यह मात्रा 20 लाख बैरल प्रतिदिन तक जा पहुंची. इस बीच, निजी कंपनियां जैसे रिलायंस और नायरा एनर्जी इस मामले पर कोई बयान नहीं दे रही हैं. नायरा को यूरोपीय प्रतिबंधों के चलते उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ रहा है.
भारत पेट्रोलियम के पूर्व अधिकारी आर. रामचंद्रन ने कहा कि रूसी सप्लाई में बाधा आने पर सऊदी अरब या इराक जैसे देश बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं. वैश्विक बाज़ार भी इस बदलाव को लेकर चिंतित है, क्योंकि इससे आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ सकता है. ब्रेंट क्रूड के दाम अभी $67 प्रति बैरल पर स्थिर हैं.


