भारत का लोकतंत्र दुनिया के लिए मिसाल...संविधान दिवस पर संसद में विशेष कार्यक्रम के दौरान बोलीं राष्ट्रपति मुर्मू
आज के दिन ही 1949 में भारत के संविधान को अपनाया गया था. हम हर साल इस दिन को संविधान दिवस के रूप में मनाते है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नेतृत्व में पुराने संसद भवन के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति मुर्मू ने सभी देशवासियों को शुभकामनाएं दी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र पूरी दुनिया के लिए मिसाल है.

नई दिल्ली : हर वर्ष 26 नवंबर को भारत संविधान दिवस मनाता है, क्योंकि 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अंगीकार किया था. यह अवसर उन मूल्यों, अधिकारों और सिद्धांतों का उत्सव है, जिन्होंने भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बनाया. वर्ष 2025 के संविधान दिवस पर पुरानी संसद के केंद्रीय कक्ष में भव्य समारोह आयोजित किया गया, जिसका नेतृत्व राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया.
संबोधन में लोकतंत्र और विकास पर जोर
#WATCH | Delhi: President Droupadi Murmu says, "... By curbing the social evil associated with triple talaq, Parliament took historic steps toward the empowerment and social justice of our sisters and daughters. The Goods and Services Tax, the biggest tax reform since… pic.twitter.com/vtZLtXweuE
— ANI (@ANI) November 26, 2025
संविधान के 9 नए भाषाई संस्करण जारी
इस अवसर पर संविधान के अनुवादित संस्करणों का विमोचन किया गया. राष्ट्रपति मुर्मू ने मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, ओडिया और असमिया भाषाओं में संविधान का संस्करण जारी किया. यह कदम देश की भाषाई विविधता को सम्मान देने और संविधान को अधिक से अधिक भारतीयों तक पहुँचाने की दिशा में महत्वपूर्ण है.
संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं...उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति सी. पी. राधाकृष्णन ने संविधान निर्माण की प्रक्रिया को भारत माता के महान सपूतों का सामूहिक योगदान बताया. उन्होंने कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष, त्याग और करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं का जीवंत प्रतीक है. उन्होंने कहा, “हमारा संविधान सिद्ध करता है कि भारत एक है और सदैव एक रहेगा. यह हमारी बुद्धिमता, अनुभव और राष्ट्र के प्रति समर्पण का सार है.”
राष्ट्रीय नेतृत्व की उपस्थिति, कार्यक्रम की गरिमा
समारोह में देश के शीर्ष संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों की उपस्थिति रही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य और कई सांसद इस कार्यक्रम में शामिल हुए. पुराने संसद भवन का केंद्रीय कक्ष इस अवसर पर एक बार फिर इतिहास का साक्षी बना, जहाँ संविधान निर्माण और स्वतंत्र भारत की नींव रखी गई थी.
लोकतांत्रिक मूल्यों को याद करने का अवसर
संविधान दिवस हमें याद दिलाता है कि अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का पालन भी उतना ही आवश्यक है. यह दिन संविधान के प्रति सम्मान, नागरिक जिम्मेदारी और देश की एकता को मजबूत करने का संकल्प दोहराने का अवसर है.


