दुश्मनों की हर चाल होगी फेल! भारत बनाएगा 12 हाइपरसोनिक मिसाइलें, DRDO कर रहा तैयार
भारत की रक्षा शक्ति को नई ऊंचाई देने वाला DRDO का ‘प्रोजेक्ट विष्णु’ हाइपरसोनिक मिसाइलों के दम पर दुश्मनों के लिए एक अजेय चुनौती बनकर उभर रहा है.

भारत अब केवल रक्षा में आत्मनिर्भर ही नहीं बल्कि ‘अजेय’ बनने की ओर बढ़ रहा है. देश की टॉप रक्षा अनुसंधान संस्था DRDO (Defence Research and Development Organisation) एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम कर रही है, जो आने वाले सालों में भारत को वैश्विक सैन्य शक्ति के शिखर पर पहुंचा सकता है. इस प्रोजेक्ट का नाम है– ‘प्रोजेक्ट विष्णु’, जिसके तहत भारत की सबसे तेज और सबसे उन्नत हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणाली विकसित की जा रही है.
पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से तैयार की जा रहीं ये मिसाइलें इतनी तेज, सटीक और मारक होंगी कि ना केवल पाकिस्तान बल्कि चीन जैसे शक्तिशाली देश भी इन्हें ट्रैक नहीं कर पाएंगे. अमेरिका, रूस और चीन के बाद अब भारत भी उस विशिष्ट क्लब का हिस्सा बनने को तैयार है जिनके पास हाइपरसोनिक हथियारों की तकनीक है.
मैक 8 की रफ्तार, दुश्मन की तबाही तय
‘प्रोजेक्ट विष्णु’ के तहत विकसित की जा रही ET-LDHCM नाम की मिसाइल की गति मैक 8 (11,000 किमी/घंटा) तक होगी. इस गति से चलने वाली मिसाइलें किसी भी लक्ष्य को कुछ ही मिनटों में तबाह कर सकती हैं. इतनी तेज रफ्तार और घातकता के कारण इन्हें रोक पाना लगभग असंभव होगा.
1 नहीं, 12 हाइपरसोनिक सिस्टम्स पर एक साथ काम
इस प्रोजेक्ट के तहत DRDO एक साथ 12 प्रकार की हाइपरसोनिक मिसाइल प्रणालियों पर काम कर रहा है. इनमें आक्रामक हमले के लिए मिसाइलें और दुश्मन की बैलेस्टिक या क्रूज मिसाइलों को रोकने वाली इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल हैं. यानी इस प्रणाली में अटैक + एयर डिफेंस दोनों मौजूद होंगे.
दुश्मन की हर चाल पर भारी पड़ेगा भारत का नया कवच
DRDO की योजना है कि 2030 से पहले ये हाइपरसोनिक मिसाइलें पूरी तरह से ऑपरेशनल हो जाएं. इसके बाद, भारत की ताकत इतनी बढ़ जाएगी कि वो पाकिस्तान या चीन के किसी भी क्षेत्र को बिजली जैसी गति से निशाना बना सकेगा और जवाब देने का मौका तक नहीं देगा.
रडार से अदृश्य, दिशा बदलने में सक्षम
भारत की इन नई हाइपरसोनिक मिसाइलों को दुश्मन के रडार से बच निकलने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है. लॉन्च के बाद भी इनका मार्ग और लक्ष्य कमांड सेंटर से बदलना संभव होगा, जिससे ये मिसाइलें युद्ध के मैदान में ज्यादा खतरनाक और अप्रत्याशित बन जाएंगी.
स्क्रैमजेट इंजन से मिलेगी रफ्तार, परीक्षण शुरू
ET-LDHCM मिसाइल अत्याधुनिक स्क्रैमजेट इंजन से लैस होगी, जो इसे हाइपरसोनिक गति तक पहुंचने में मदद करेगा. DRDO इसकी शुरुआती परीक्षण सफलतापूर्वक कर चुका है और इसे मोबाइल लॉन्चर, फाइटर जेट या नौसेना के युद्धपोत से दागा जा सकेगा.
HGV तकनीक और चीन को मात
इन मिसाइलों में Hypersonic Glide Vehicle (HGV) तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे ये रडार से बचते हुए लक्ष्य पर वार करेंगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक इनकी रेंज 2000 किलोमीटर तक होगी और इनका एडवांस नेविगेशन सिस्टम चीन के सबसे उन्नत एयर डिफेंस को भी मात देने की क्षमता रखता है.


