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अब दुश्मनों की होगी 'हवा टाइट'! रुद्र ब्रिगेड और भैरव कमांडो से चीन-पाक पर कहर बरपाएगी भारतीय सेना

भारतीय सेना ‘रूद्र’ ब्रिगेड, ‘भैरव’ कमांडो बटालियन और ‘शक्तिबाण’ रेजीमेंट जैसे नए सैन्य ढांचों के जरिए अपनी युद्ध क्षमता को भविष्य के लिए मजबूत कर रही है. ड्रोन, मिसाइल और आधुनिक तकनीकों से लैस ये यूनिट्स सीमाओं पर दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने को पूरी तरह तैयार होंगी.

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारतीय सेना अब अपनी युद्ध क्षमता को अगले स्तर पर ले जाने की तैयारी में है. चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर लगातार बढ़ती चुनौतियों के मद्देनजर सेना रणनीतिक बदलावों के जरिए खुद को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार कर रही है. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने करगिल विजय दिवस के मौके पर इसकी विस्तृत रूपरेखा साझा की और बताया कि देश की सीमाओं को अभेद्य बनाने के लिए सेना में कई बड़े सुधार किए जा रहे हैं.

इन सुधारों के तहत सेना 'रूद्र' ऑल-आर्म्स ब्रिगेड, 'भैरव' लाइट कमांडो बटालियन और 'शक्तिबाण' आर्टिलरी रेजीमेंट का गठन कर रही है. इसके साथ ही, सभी इन्फैंट्री बटालियनों को ड्रोन प्लाटून से लैस किया जा रहा है ताकि तकनीक-आधारित युद्ध में बढ़त बनाई जा सके.

‘रूद्र’, ‘भैरव’ और ‘शक्तिबाण’ से होगा ताबड़तोड़ प्रहार

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि सेना को भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है. नई ब्रिगेड और बटालियन बनने से हमारी शक्ति में कई गुना वृद्धि होगी. नई रूद्र ब्रिगेड में इन्फैंट्री, मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री, टैंक यूनिट, आर्टिलरी, स्पेशल फोर्सेज और UAVs एक ही छत के नीचे होंगे, जिससे ऑपरेशन तेज और प्रभावी होंगे. वहीं, भैरव लाइट कमांडो यूनिट्स को अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस किया जा रहा है, जो सीमाओं पर दुश्मन को चौंकाने के लिए हर वक्त तैयार रहेंगी.

आर्टिलरी को मिलेगा ‘दिव्यास्त्र’ का साथ

‘शक्तिबाण’ रेजीमेंट्स के साथ अब तोपखाने की मारक क्षमता में भी जबरदस्त इजाफा होगा. इन रेजीमेंट्स में 'दिव्यास्त्र' निगरानी प्रणाली और लोइटरिंग म्यूनिशन बैटरियों को जोड़ा जा रहा है. इससे आर्टिलरी को रियल-टाइम टारगेटिंग और दुश्मन की हरकतों पर सटीक नजर रखने में मदद मिलेगी.

हर इन्फैंट्री बटालियन में होगा ड्रोन प्लाटून

भारतीय सेना अब ड्रोन युद्ध की वास्तविकताओं को स्वीकार कर रही है. 400 से ज्यादा इन्फैंट्री बटालियनों को ड्रोन प्लाटून से लैस किया जा रहा है ताकि किसी भी ऑपरेशन में आधुनिक तकनीक का पूर्ण उपयोग किया जा सके. सेना की वायु सुरक्षा प्रणाली को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा रहा है. सेना को दो नई ‘आकाश प्राइम’ मिसाइल रेजीमेंट्स मिलेंगी, जिन्हें खासतौर पर चीन सीमा पर ऊंचाई वाले इलाकों के लिए तैयार किया गया है. तीन क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम (QRSAM) की रेजीमेंट भी सेना को मिलने जा रही हैं, जिससे कम समय में अधिकतम प्रतिक्रिया संभव होगी.

जनरल द्विवेदी ने मई में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने पाकिस्तान को 7-10 मई को सीमा पार हुई लड़ाई में एक सुनियोजित, सटीक और निर्णायक जवाब दिया और बड़ी जीत हासिल की. हमने उन्हें शांति का मौका दिया, लेकिन उन्होंने कायरता दिखाई. फिर हमने केवल वीरता से जवाब दिया. ऑपरेशन सिंदूर हमारा संकल्प, हमारा संदेश और हमारी प्रतिक्रिया है.

रणनीतिक पुनर्गठन: मौजूदा यूनिट्स को नया स्वरूप

सेना के अंदर किसी भी तरह की नई भर्ती नहीं होगी, बल्कि मौजूदा 250 से ज्यादा सिंगल-आर्म ब्रिगेड्स को ऑल-आर्म ब्रिगेड्स में बदला जाएगा. इनमें इन्फैंट्री, टैंक, आर्टिलरी, स्पेशल फोर्स और UAV जैसी सभी आवश्यक लड़ाकू इकाइयां शामिल होंगी. इससे सेना के हर फॉर्मेशन को लड़ाई के हर मोर्चे पर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा.

पहले ही बन चुकी हैं दो ‘रूद्र’ ब्रिगेड

सेना अधिकारियों के अनुसार, दो रूद्र ब्रिगेड पहले ही कार्यरत हो चुकी हैं. इन ब्रिगेड्स को सीमाओं पर विशिष्ट जिम्मेदारियों के साथ तैनात किया गया है. ये पहली बार होगा जब विभिन्न लड़ाकू यूनिट्स एकसाथ शांति और युद्ध दोनों परिस्थितियों में संगठित रहेंगे. भविष्य में इन्फैंट्री यूनिट्स को आधार बनाकर 40 से 50 भैरव लाइट कमांडो बटालियन तैयार की जाएंगी. इन्हें विशेष ऑपरेशन, घातक मिशन और दुश्मन के इलाके में घुसकर कार्रवाई करने के लिए तैनात किया जाएगा. 

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27 July 2025, 02:49 PM IST

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