score Card

जस्टिस बीआर गवई होंगे देश के अगले CJI, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दी मंजूरी, जानें कब तक होगा कार्यकाल

जस्टिस बीआर गवई भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके नाम को मंजूरी दे दी है. इससे पहले वर्तमान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने उनके नाम की सिफारिश की थी.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

जस्टिस बीआर गवई भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश होंगे. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके नाम को मंजूरी दे दी है. इससे पहले वर्तमान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना ने उनके नाम की सिफारिश की थी. आपको बता दें कि सीजेआई संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो रहा है.

केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस नियुक्ति की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि यह नियुक्ति संविधान में निहित प्रावधानों के तहत राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृत की गई है. वर्तमान में न्यायमूर्ति गवई सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीशों में शामिल हैं और उनकी नियुक्ति न्यायपालिका की वरिष्ठता परंपरा के अनुरूप की गई है.

दलित समुदाय से दूसरे CJI

जस्टिस गवई अनुसूचित जाति समुदाय से आने वाले दूसरे मुख्य न्यायाधीश होंगे. उनसे पहले जस्टिस के. जी. बालाकृष्णन इस पद पर रह चुके हैं, जो 2010 में सेवानिवृत्त हुए थे. उनकी नियुक्ति को सामाजिक प्रतिनिधित्व के दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

कानूनी सफर और पारिवारिक पृष्ठभूमि

जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ था. उन्होंने 1985 में वकालत की शुरुआत की और 1987 से बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र रूप से प्रैक्टिस शुरू की. वे विशेष रूप से संवैधानिक और प्रशासनिक मामलों में माहिर रहे हैं. वर्ष 2003 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 2005 में वे स्थायी न्यायाधीश बने. मई 2019 में वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए. उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 को समाप्त होगा.

जस्टिस गवई, पूर्व राज्यपाल और प्रतिष्ठित दलित नेता रामकृष्ण सूर्यभान गवई के पुत्र हैं. उनके पिता ‘दादा साहब’ के नाम से प्रसिद्ध थे और सामाजिक न्याय की दिशा में उनका योगदान सराहनीय रहा है.

महत्वपूर्ण फैसले और न्यायिक योगदान

  • अपने सुप्रीम कोर्ट कार्यकाल में न्यायमूर्ति गवई ने कई ऐतिहासिक फैसलों में निर्णायक भूमिका निभाई.
  • वे उस संविधान पीठ का हिस्सा रहे जिसने अनुच्छेद 370 को हटाने के निर्णय को वैध ठहराया.
  • उन्होंने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक ठहराने वाले फैसले में भाग लिया, जो राजनीतिक पारदर्शिता के पक्ष में था.
  • उन्होंने गैरकानूनी ध्वस्तीकरण के खिलाफ दिशा-निर्देश जारी करते हुए ‘बुलडोजर कार्रवाई’ पर अंकुश लगाने की पहल की.
  • राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति देने वाले फैसले में भी वे शामिल थे.
  • दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्होंने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को रेखांकित किया.
  • उन्होंने राजीव गांधी हत्या मामले में दोषी ए.जी. पेरारिवलन की रिहाई के आदेश वाली पीठ का भी नेतृत्व किया.

नई उम्मीदों के साथ एक नई शुरुआत

न्यायमूर्ति गवई की नियुक्ति को न्यायपालिका में विविधता और समावेश की दिशा में सकारात्मक कदम माना जा रहा है. उनका कार्यकाल न्याय तक पहुंच को मजबूत करने, संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने और न्यायिक जवाबदेही बढ़ाने पर केंद्रित रहेगा. उनके नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट से न्यायिक सुधारों और जनहित से जुड़े निर्णयों की अपेक्षा की जा रही है.

 

calender
29 April 2025, 08:22 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag