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दिल्ली में कांवड़ियों का कब्जा! ट्रैफिक और शोर से परेशान हुए लोग

सावन की शुरुआत के साथ ही दिल्ली की सड़कों पर कांवड़ियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. जहां एक ओर आस्था का सैलाब नजर आता है, वहीं दूसरी ओर ट्रैफिक जाम, तेज आवाज में बजते डीजे और बूम बॉक्स जैसे हालातों से आम लोगों का जीना दूभर हो गया है. खासतौर पर दक्षिण, दक्षिण-पूर्वी, पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी दिल्ली के इलाकों में रहवासी भारी परेशान हैं और लगातार शिकायतें कर रहे हैं.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

सावन के महीने में कांवड़ यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिल्ली की सड़कों पर उमड़ रही है. लेकिन धार्मिक श्रद्धा के इस माहौल के बीच कई इलाकों में स्थानीय लोग बूम बॉक्स की तेज आवाज, ट्रैफिक जाम और कॉलोनियों में रात के समय होने वाले शोर से परेशान हो चुके हैं. खासकर दक्षिण, दक्षिण-पूर्वी, पूर्वी और दक्षिण-पश्चिमी जिलों में स्थिति बेहद गंभीर हो गई है, जहां रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशनों ने स्वास्थ्य और मानसिक शांति पर प्रभाव को लेकर चिंता जताई है.

दिल्ली पुलिस का दावा है कि उन्होंने हर जिले में पर्याप्त इंतजाम किए हैं, लेकिन शुक्रवार से अब तक शोर और ट्रैफिक को लेकर करीब 200 शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं. जबकि कई इलाकों में लोगों का आरोप है कि पुलिस की मौजूदगी के बावजूद कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है.

दक्षिण-पूर्वी दिल्ली: बूम बॉक्स बना सिरदर्द

दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, महारानी बाग और आश्रम इलाके में भारी संख्या में कांवड़ यात्री गुजर रहे हैं. यहां के निवासियों ने आरोप लगाया कि ये श्रद्धालु तेज़ आवाज़ में डीजे और बूम बॉक्स बजाते हुए चलते हैं, जिससे विद्यार्थियों की पढ़ाई और बुजुर्गों की नींद तक प्रभावित हो रही है.

न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी आरडब्ल्यूए (अशोका पार्क) की अध्यक्ष चित्रा जैन ने कहा कि ये लोग बूम बॉक्स के साथ यात्रा करते हैं और यह स्थानीय निवासियों के लिए बहुत बड़ी परेशानी बन चुका है. पढ़ाई करने वाले छात्रों को दिक्कत होती है, बुजुर्गों को चैन नहीं मिलता. वाइब्रेशन भी बहुत होता है जो और भी ज्यादा परेशान करता है. मैं धार्मिक भावना के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन वॉल्यूम बहुत हाई होता है और हमें लगातार शिकायतें मिल रही हैं.

तैनात है स्टाफ, शिकायतें नियंत्रित

दक्षिण-पूर्वी जिले के पुलिस उपायुक्त हेमंत तिवारी ने बताया, “हम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के पूरे प्रयास कर रहे हैं. कुछ शिकायतें आती हैं, लेकिन पिछले साल की तुलना में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है. हमने समर्पित कॉरिडोर बनाए हैं और तीन शिफ्टों में करीब 200 कर्मियों को तैनात किया है (कुल 600 प्रतिदिन). हमारे अधीन करीब 21 कांवड़ शिविर हैं, जहां पुरुष और महिला स्टाफ की 24 घंटे ड्यूटी लगाई गई है. शिकायतें आती हैं, लेकिन हमारी टीम उन पर काम करती है.”

कॉलोनियों में घुसते हैं कांवड़िये

दक्षिण दिल्ली के निवासियों का कहना है कि कई कांवड़िये मुख्य सड़कों को छोड़कर रात के समय कॉलोनी की गलियों से गुजरते हैं. इससे अचानक तेज़ शोर और ट्रैफिक का सामना करना पड़ता है, जो विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए बड़ी परेशानी बन जाता है.

शिकायतें बढ़ीं, लेकिन सख्ती नदारद

पुलिस के अनुसार, केवल दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में प्रतिदिन औसतन 10 शिकायतें दर्ज की जा रही हैं, जिनमें शोर और ट्रैफिक की समस्या सबसे प्रमुख है. हालांकि कई निवासी मानते हैं कि पुलिस केवल औपचारिकता निभा रही है, असली नियंत्रण नजर नहीं आता.

धार्मिक आस्था और सामाजिक संतुलन की चुनौती

सावन के महीने में कांवड़ यात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक परंपरा है, लेकिन इसके संचालन में सामाजिक संतुलन बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है. तेज़ आवाज, ट्रैफिक जाम और कॉलोनियों में रात का उत्पात श्रद्धा की गरिमा को कम करता है और स्थानीय लोगों की मानसिक शांति भंग करता है.

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22 July 2025, 08:41 AM IST

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