कश्मीरी सांसद इंजीनियर रशीद पर हमला, तिहाड़ जेल में ट्रांसजेंडर कैदियों ने पीटा
दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद कश्मीरी सांसद इंजीनियर रशीद पर ट्रांसजेंडर कैदियों ने हमला कर दिया. जेल नंबर-3 में हुई इस घटना में रशीद को हल्की चोटें आईं. हालांकि जेल प्रशासन ने हत्या की साजिश की आशंका को खारिज करते हुए इसे आपसी विवाद का नतीजा बताया है.

Engineer Rashid: जम्मू-कश्मीर से लोकसभा सांसद अब्दुल रशीद शेख उर्फ इंजीनियर रशीद पर दिल्ली की तिहाड़ जेल में हमला हुआ है. जानकारी के अनुसार, जेल नंबर-3 में बंद ट्रांसजेंडर कैदियों ने रशीद के साथ झगड़े के बाद उन पर हमला कर दिया. इस घटना में उन्हें हल्की चोटें आईं. जेल सूत्रों ने हत्या की साजिश की किसी भी आशंका को सिरे से खारिज किया है और बताया है कि यह घटना आपसी कहासुनी के चलते हुई.
गौरतलब है कि इंजीनियर रशीद 2019 से आतंकी फंडिंग मामले में जेल में बंद हैं. इसके बावजूद उन्होंने 2024 लोकसभा चुनाव बारामुला सीट से लड़ा और बड़े नेताओं को हराकर जीत हासिल की. पार्टी ‘आवामी इत्तिहाद पार्टी’ (AIP) ने इस हमले को एक सोची-समझी साजिश बताते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है.
जेल में तनाव और झगड़े की वजह
सूत्रों के अनुसार, रशीद और ट्रांसजेंडर कैदियों के बीच पिछले एक हफ्ते से विवाद चल रहा था. आरोप है कि जेल प्रशासन इन कैदियों का इस्तेमाल कश्मीरी बंदियों को परेशान और उकसाने के लिए करता है. इसी वजह से झगड़ा बढ़ा और इंजीनियर रशीद पर हमला हुआ. पार्टी ने कहा कि यह जान-बूझकर बनाया गया माहौल है जिससे कश्मीरी कैदियों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा सके.
कोर्ट में याचिका और पैरोल विवाद
इंजीनियर रशीद को संसद सत्र में भाग लेने के लिए कस्टडी पैरोल दी गई है. लेकिन शर्त के तहत उन्हें यात्रा और सुरक्षा का पूरा खर्च खुद उठाना पड़ता है. एक आदेश के मुताबिक, उन्हें करीब 4 लाख रुपये जेल प्रशासन को जमा करने थे. इस पर रशीद ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की कि संसद जाना उनका संवैधानिक कर्तव्य है, कोई व्यक्तिगत सुविधा नहीं.
हाईकोर्ट की सुनवाई
दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस अनुप जयराम भंभानी) ने इस मामले पर सुनवाई की. राज्य और एनआईए की ओर से कहा गया कि रशीद को ले जाने और लाने के लिए दिल्ली आर्म्ड पुलिस के 15 सुरक्षाकर्मियों की ज़रूरत होती है, जिससे खर्च बढ़ जाता है. वहीं रशीद के वकील का तर्क था कि जेल नियमों में पैरोल पर निकले व्यक्ति से सुरक्षाकर्मियों का वेतन वसूलने का कोई प्रावधान नहीं है.
अदालत का रुख
बेंच ने साफ कहा कि कस्टडी पैरोल अंतरिम जमानत के बराबर नहीं होती और आमतौर पर खर्च उस व्यक्ति को ही वहन करना पड़ता है जिसे यह राहत दी जाती है. हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि मामला जटिल है और खर्च की गणना व कानूनी आधार स्पष्ट होना चाहिए. हाईकोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा कि रशीद की याचिका मूल पीठ के समक्ष रखी जाए जिसने मार्च में यह शर्त लगाई थी.
आगे की कार्यवाही
अब कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि क्या सांसद रहते हुए इंजीनियर रशीद को संसद जाने का अधिकार है और क्या उसकी सुरक्षा का खर्च उन्हीं से वसूला जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों और संसदीय नियमों के आलोक में इस मुद्दे पर फैसला लिया जाएगा. फिलहाल, मामले की अगली सुनवाई का इंतजार है.


