AIADMK में सियासी ड्रामा, पलानीस्वामी ने विधायक को सभी पदों से हटाया
अन्नाद्रमुक महासचिव ई.के. पलानीस्वामी ने वरिष्ठ नेता के.ए. सेंगोट्टैयन को तत्काल प्रभाव से सभी पदों से हटा दिया. सेंगोट्टैयन एरोड सब-अर्बन जिले के संगठन और जिला सचिव थे. इस फैसले को सेंगोट्टैयन ने स्वीकार किया. इससे पहले पलानीस्वामी ने डिंडिगुल में पार्टी नेताओं के साथ अहम बैठक की थी.

E.K. Palaniswami: अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. पार्टी के महासचिव ई.के. पलानीस्वामी ने शनिवार को एक बड़ा और आश्चर्यजनक फैसला लिया है. वरिष्ठ नेता और विधायक के.ए. सेंगोट्टैयन को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया गया है. यह कदम पार्टी की संगठनात्मक मजबूती और चुनावी रणनीति को लेकर उठाया गया माना जा रहा है.
सेंगोट्टैयन को पार्टी के संगठन सचिव और जिला सचिव के पदों से हटाए जाने का फैसला डिंडिगुल के एक होटल में वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद लिया गया. इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना दिया है क्योंकि खुद सेंगोट्टैयन ने इस निर्णय को पार्टी के हित में स्वीकार किया है.
के.ए. सेंगोट्टैयन को पार्टी पदों से हटाया गया
AIADMK के महासचिव ई.के. पलानीस्वामी ने शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता और एरोड सब-अर्बन जिले के संगठन सचिव के.ए. सेंगोट्टैयन को पार्टी के सभी पदों से हटा दिया है. पार्टी की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि सेंगोट्टैयन को तत्काल प्रभाव से इन जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाता है.
मीटिंग में लिए गए महत्वपूर्ण फैसले
इस बड़े फैसले से पहले महासचिव पलानीस्वामी ने डिंडिगुल के एक होटल में वरिष्ठ नेताओं और पूर्व मंत्रियों के साथ करीब एक घंटे से अधिक समय तक मीटिंग की. इस मीटिंग में दिंडिगुल श्रीनिवासन, नाथम विश्वनाथन, के.पी. मुनुसामी, एसपी वेलुमणि, कामराज, ओ.एस मणियन और विजयभास्कर भी मौजूद थे. बैठक के बाद सेंगोट्टैयन को पदमुक्त करने का फैसला लिया गया.
सेंगोट्टैयन के सुझावों पर उठे सवाल
के.ए. सेंगोट्टैयन ने शुक्रवार को कहा था कि पार्टी तभी मजबूत होगी और चुनाव जीत पाएगी जब निष्कासित नेताओं जैसे वी.के. शशिकला, ओ. पन्नीरसेल्वम और टी.टी.वी दिनाकरन को वापस लाया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कई वरिष्ठ नेताओं ने भी पलानीस्वामी को यही सुझाव दिया था. लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. सेंगोट्टैयन ने कहा कि 2016 के बाद से पार्टी के नतीजे अच्छे नहीं रहे हैं और यदि भाजपा से गठबंधन किया गया होता तो इस बार कम से कम 30 सीटें जीतने में मदद मिलती.


