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24 साल बाद फिर खुलेगा भारत का सबसे पुराना खजाना, KGF से निकलेगा 30,000 करोड़ का सोना!

भारत के सबसे पुराने और ऐतिहासिक सोने की खदान कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF) से एक बार फिर खजाना निकालने की तैयारी शुरू हो चुकी है. 24 सालों से बंद पड़ी इस खदान को फिर से खोलने के लिए केंद्र और कर्नाटक सरकार ने हरी झंडी दे दी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस इलाके में अब भी करीब 30 हजार करोड़ रुपये का सोना छिपा हुआ है, जिसे सतही खनन से निकाला जा सकता है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

भारत की सबसे पुरानी स्वदेशी सोने की खदान  कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF)  एक बार फिर से खुलने के करीब है। बंद पड़े इस ऐतिहासिक स्थल से केंद्र सरकार 24 साल बाद फिर से सोना निकालने की योजना पर काम कर रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस खदान के डंप में लगभग 30,000 करोड़ रुपये का सोना अभी भी मौजूद है, जिसे निकाला जा सकता है.

कभी ‘स्वर्ण नगरी’ और ‘मिनी इंग्लैंड’ के नाम से मशहूर KGF, कर्नाटक की ठंडी जलवायु, यूरोपीय शैली की इमारतों और एंग्लो-इंडियन संस्कृति के लिए जाना जाता था। लेकिन 2001 में इस खदान को बंद कर दिया गया था। अब जून 2024 में कर्नाटक सरकार ने केंद्र के एक प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है, जिससे इस ऐतिहासिक खदान से दोबारा सोना निकालने का रास्ता खुल गया है.

क्या है कोलार गोल्ड फील्ड्स की खासियत?

कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF) भारत में आज़ादी के बाद चालू की गई पहली स्वदेशी सोने की खदान थी। यह खदान 2001 तक सक्रिय रही और अब दो दशक बाद फिर से इसे शुरू करने की तैयारी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस खदान के डंप यानि कचरे में अब भी 32 मिलियन टन सामग्री मौजूद है, जिससे लगभग 23 टन सोना निकाला जा सकता है.

कितनी बड़ी है सोने की संपत्ति? विशेषज्ञों के मुताबिक, KGF के डंप्स से करीब 30,000 करोड़ रुपये मूल्य का सोना निकाला जा सकता है। यह खजाना अब तक मिट्टी और कचरे में दबा पड़ा था। इससे पहले कभी भी इस अवशिष्ट सामग्री पर खनन नहीं हुआ.

क्यों कहा जाता है 'मिनी इंग्लैंड'?

KGF को कभी 'मिनी इंग्लैंड' कहा जाता था क्योंकि यहां की ठंडी जलवायु, ब्रिटिश स्टाइल की इमारतें और एंग्लो-इंडियन संस्कृति ने इसे ब्रिटिश राज में एक खास जगह बना दिया था। खदान के चलते यहां एक पूरी समृद्ध बस्ती विकसित हुई थी, जो खदान के बंद होने के बाद वीरान हो गई.

अब तक क्यों नहीं हुआ पुन: खनन?

KGF के अधिवक्ता पी. राघवन ने बताया कि पिछले 24 वर्षों में भूमिगत सुरंगों में 1,400 किलोमीटर लंबा नेटवर्क पूरी तरह से साइनाइड युक्त जहरीले पानी से भर गया है। इसके अलावा, वहां लगी मशीनें जंग खा चुकी हैं। इसलिए यहां दोबारा खनन कार्य शुरू करने के लिए भारी निवेश और उच्च तकनीक की जरूरत होगी.

क्या कहती है सरकार?

कर्नाटक सरकार ने केंद्र के उस प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है, जिसमें 1,003 एकड़ भूमि पर फैले 13 टेलिंग डंप्स से सतही खनन की बात कही गई थी। इन डंप्स में पुराने खनन के बाद बचा हुआ मलबा और कचरा है, जिसमें अभी भी काफी मात्रा में अवशिष्ट सोना मौजूद है.

क्या फिर से लौटेगा KGF का गौरव?

अगर सरकार और निवेशक मिलकर इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाते हैं, तो न सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि केजीएफ की विरासत को भी दोबारा जीवन मिल सकता है. यह न सिर्फ आर्थिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी एक बड़ा कदम होगा.

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09 July 2025, 01:46 PM IST

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