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बार चुनाव पर वकील की टिप्पणी से जज हुए नाराज़, हाईकोर्ट की वकील को कड़ी फटकार

दिल्ली हाई कोर्ट में बार एसोसिएशन चुनाव से जुड़ा एक मामला उस समय गंभीर रूप ले गया, जब एक वकील द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर की गई टिप्पणी को अदालत ने आपत्तिजनक और अनुचित करार दिया.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट में बार एसोसिएशन चुनाव से जुड़ा एक मामला उस समय गंभीर रूप ले गया, जब एक वकील द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर की गई टिप्पणी को अदालत ने आपत्तिजनक और अनुचित करार दिया. कोर्ट ने इस पोस्ट को लेकर वकील को कड़ी फटकार लगाते हुए साफ कहा कि अदालत और न्यायिक व्यवस्था की गरिमा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

यह मामला उस फेसबुक पोस्ट से जुड़ा है, जिसमें बार चुनाव को लेकर कथित तौर पर आपत्तिजनक और भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल किया गया था. कोर्ट ने इसे न केवल गैर-जिम्मेदाराना बताया, बल्कि यह भी कहा कि इस तरह की टिप्पणियां न्यायिक संस्थानों की छवि को नुकसान पहुंचाती हैं.

क्या था पूरा विवाद

यह पूरा विवाद तब सामने आया जब कोर्ट न्यू दिल्ली बार एसोसिएशन (NDBA) के चुनावों में कथित अनियमितताओं से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. ये चुनाव मार्च 2025 में पटियाला हाउस कोर्ट में हुए थे. मामले की सुनवाई के दौरान सामने आया कि संबंधित वकील ने बार एसोसिएशन चुनाव को लेकर फेसबुक पर एक पोस्ट साझा की थी, जिसमें चुनाव प्रक्रिया और उससे जुड़े लोगों पर गंभीर आरोप लगाए गए थे. अदालत के अनुसार, पोस्ट की भाषा और लहजा मर्यादा की सीमाओं से बाहर था.

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि वकील समाज का एक जिम्मेदार वर्ग होते हैं, जिनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे सार्वजनिक मंचों पर भी संयम और विवेक का परिचय दें. कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियां भी सार्वजनिक दायरे में आती हैं और उनका असर व्यापक होता है.

हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी

हाई कोर्ट ने वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि बार चुनाव आंतरिक मामला हो सकता है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि कोई भी व्यक्ति सोशल मीडिया पर मनमानी भाषा का प्रयोग करे. न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ऐसी पोस्ट न्यायिक अनुशासन के खिलाफ हैं और इससे बार और बेंच के बीच भरोसे पर असर पड़ता है.

कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि वकीलों द्वारा इस तरह का आचरण जारी रहा, तो अदालत सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी. न्यायाधीश ने यह संदेश दिया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी जुड़ी होती है.

सोशल मीडिया और पेशेवर जिम्मेदारी

अदालत ने इस मामले में यह अहम टिप्पणी की कि सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म पर की गई पोस्ट भी पेशेवर आचरण के दायरे में आती हैं. वकीलों को यह समझना चाहिए कि उनके शब्द सिर्फ व्यक्तिगत राय नहीं होते, बल्कि उनका प्रभाव संस्था और समाज दोनों पर पड़ता है.

कोर्ट का स्पष्ट संदेश

इस पूरे मामले के जरिए दिल्ली हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि न्यायपालिका की गरिमा सर्वोपरि है. बार चुनाव से जुड़ी असहमति या आलोचना का तरीका मर्यादित और कानूनी होना चाहिए, न कि सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा करने वाला.

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16 December 2025, 02:21 PM IST

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