ISI की भारत में बड़ी जासूसी साजिश का भंडाफोड़, हनी ट्रैप के लिए इस्तेमाल कर रहे थे भारतीय सिम कार्ड
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने एक बड़ी जासूसी साजिश का खुलासा किया है, जिसमें पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI भारत में सक्रिय पाई गई है. 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत सामने आए इस नेटवर्क में भारतीय सिम कार्ड्स का इस्तेमाल करके सैन्य अधिकारियों को हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश की गई.

भारत की खुफिया एजेंसियों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI द्वारा संचालित एक बड़े जासूसी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है. इस नेटवर्क का खुलासा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत हुआ, जो भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच शुरू किया गया था. जांच में सामने आया कि पाकिस्तान के एजेंट भारतीय सिम कार्ड्स का इस्तेमाल कर रहे थे और इन सिम कार्ड्स के जरिए सेना से जुड़े अधिकारियों को हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश की जा रही थी.
इस पूरे मामले ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट पर ला दिया है. साजिश में इस्तेमाल हो रहे कई भारतीय सिम कार्ड लंबे समय से निष्क्रिय थे, जिन्हें हाल ही में फिर से सक्रिय किया गया और उनका इस्तेमाल व्हाट्सएप जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म पर किया जा रहा था. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस नेटवर्क का संचालन भारत के कई राज्यों में फैला हुआ था और इसमें कई संदिग्ध गिरफ्तार हो चुके हैं.
ISI की जासूसी साजिश में भारतीय सिम कार्ड बने हथियार
जांच एजेंसियों को ऐसे कई भारतीय मोबाइल नंबर मिले जो पाकिस्तान से जुड़े ऑपरेटिव्स द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे थे. ये नंबर पहले निष्क्रिय थे, लेकिन हाल में फिर से चालू किए गए और इनका इस्तेमाल लगातार पाकिस्तानी हैंडलर्स से संपर्क में रहने के लिए किया गया.
गिरफ्तार आरोपी ने खोले राज
गिरफ्तार आरोपी हसीन ने पूछताछ में खुलासा किया कि उसने कई भारतीय सिम कार्ड पाकिस्तान स्थित एजेंटों को मुहैया कराए थे. वह भारतीय नंबरों से जुड़े ओटीपी भी पाकिस्तान को भेज रहा था, जिससे वे व्हाट्सएप व अन्य प्लेटफॉर्म भारत से चल रहे नंबरों से ही चला सकें और अपनी लोकेशन को छुपा सकें.
सेना अधिकारियों को फंसाने की थी साजिश
इन नंबरों का इस्तेमाल भारतीय सेना अधिकारियों को हनी ट्रैप में फंसाने के लिए किया गया. इसमें एक DRDO के वरिष्ठ अधिकारी को भी निशाना बनाया गया था, जिन्हें इन नंबरों से संपर्क कर फंसाने की कोशिश की गई. जांच में पता चला कि यह नेटवर्क भारत की रक्षा प्रणाली और सैन्य ठिकानों से जुड़ी संवेदनशील जानकारी जुटाने में लगा हुआ था.
ऑपरेशन सिंदूर में ऐसे हुआ खुलासा
इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने बीते कुछ महीनों से कुछ संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखी थी. ऑपरेशन सिंदूर के तहत जब जांच तेज हुई, तो कई निष्क्रिय नंबर अचानक सक्रिय हो गए. इन नंबरों से एन्क्रिप्टेड ऐप्स पर गतिविधियां बढ़ीं और कुछ वित्तीय लेन-देन भी ट्रेस किए गए.
भारत के कई राज्यों में फैला था नेटवर्क
जांच में सामने आया कि यह जासूसी रैकेट केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं था, बल्कि यह हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और असम जैसे राज्यों तक फैला हुआ था. IB ने यह जानकारी स्थानीय पुलिस को साझा की, जिसके बाद एक के बाद एक गिरफ्तारियां हुईं.
राज्यों से गिरफ्तार हुए ये लोग
हरियाणा: हिसार से ज्योति मल्होत्रा, कैथल से देवेंद्र सिंह ढिल्लों, नूंह से अरमान और तारीफ, पानीपत से नोमान इलाही.
पंजाब: गुरदासपुर से सुखप्रीत सिंह और कर्णबीर सिंह, मलियारकोटला से गजाला और यामीन, अमृतसर से पलक शेर मसीह और सूरा मसीह, जालंधर से मोहम्मद अली मुर्तज़ा.
उत्तर प्रदेश: रामपुर से शहजाद, वाराणसी से तुफैल और दिल्ली से मोहम्मद हारून.
असम: यहां से भी सात संदिग्ध गिरफ्तार किए गए हैं.
सैन्य ठिकानों की जानकारी और फंडिंग की थी योजना
इन लोगों पर न केवल संवेदनशील सूचनाएं जुटाने का आरोप है, बल्कि इन्हें ISI की तरफ से संभावित फंडिंग के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा था. भारतीय सिम कार्ड्स का उपयोग करके ISI द्वारा इस नेटवर्क को इतनी चतुराई से संचालित किया जा रहा था कि इसका ट्रैक करना भी मुश्किल हो गया था.
राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर खतरा
यह घटना भारत की सुरक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर चेतावनी है. जिस तरह से घरेलू संसाधनों जैसे सिम कार्ड का इस्तेमाल करके विदेशी एजेंसियां जासूसी कर रही हैं, वह बेहद चिंताजनक है. अब खुफिया एजेंसियों ने जांच और तेज कर दी है और नेटवर्क के बाकी हिस्सों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है.


