मनु भाकर के कोच जलपाल राणा का झलका दर्द, कहा 3 साल से बिना नौकरी के थे
जलपाल राणा मनु को स्टार खिलाड़ी मानते हैं, वहीं खुद को वह कुछ नहीं' मानते हैं. क्योंकि उनका कहना है कि मैं अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा हूं. मनु स्टार हैं, मैं सिर्फ एक बेरोजगार कोच हूं, मैं कोई नहीं हूं. मनु ने मुझे मदद करने के लिए कहकर मुझे अत्यंत खुशी प्रदान की है. मुझे जल्द ही नौकरी ढूंढनी होगी, ये तीन साल मेरे लिए बहुत कठिन रहे हैं. मैं इस बारे में कभी बात नहीं करना चाहता था.

ओलंपिक पदक विजेता मनु भाकर के कोच जसपाल राणा ने अपनी बात रखी हैं. पेरिस में अपनी शिष्या की सफलता के बाद उनका कहना है कि वह कठिन राह पर चल रहे हैं. बता दें कि मनु भाकर और सरबजोत सिंह ने पेरिस ओलंपिक 2024 के चौथे दिन दक्षिण कोरिया के खिलाफ 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम शूटिंग स्पर्धा में कांस्य पदक जीता है. भारत के इतिहास में एक ही ओलंपिक संस्करण में दो पदक जीतने वाली पहली एथलीट बन गई हैं. मनु भाकर अपनी जीत का जश्न मना रही हैं. वहीं दूसरे तरफ उनके गुरु ने खुद को एक विकट हालात में बताया है, उनका कहना है कि उन्हें बीते 3 साल से वेतन नहीं मिला है.
मीडिया संग रखी जसपाल राणा ने अपनी बात
मीडिया से बातचीत करते हुए जसपाल राणा ने कहा कि पेरिस ओलंपिक के बाद भारत लौटने पर उन्हें एक बेहतर नौकरी की तुरंत जरूरत थी. वहीं टोक्यो खेलों में मिली हार के बाद मनु भाकर की पदक की उम्मीदें पिस्तौल की खराबी की वजह से हार में बदल गई. राणा आगे कहते हैं कि इसके बाद मुझे कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है. इस हार के लिए मुझे दोषी बताया गया है. टोक्यो में हुई पराजय के बाद जिन लोगों ने मुझे गाली दी, मुझे खलनायक बनाया, वे अब मेरा सम्मान कर रहे हैं.
जसपाल राणा कहते हैं कि मनु की जीत पर उन्हें बहुत गर्व है. मगर राणा एक ऐसी नौकरी पाना चाहते हैं जो एक स्थिरता प्रदान कर सके. उनका कहना है कि मैं कोई नहीं हूँ, मैंने बस एक काम किया जिसमें मनु चाहती थी कि मैं उसकी मदद करूँ. क्या लोगों को पता है कि पिछले तीन सालों में मुझे नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया या किसी अन्य एजेंसी से कोई मासिक वेतन नहीं मिला है? मुझे भारत वापस जाकर नए सिरे से शुरुआत करनी होगी. मुझे पैसे कमाने के लिए नौकरी ढूँढनी होगी.
मनु भाकर का मैं मार्गदर्शन करूंगा- जसपाल राणा
बता दें कि पीटी उषा और कैप्टन अजय नारंग की बदौलत भारतीय ओलंपिक संघ से ओलंपिक मान्यता के लिए आभारी राणा ने कहा कि उन्हें कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ा है. मैं जिस तरह से काम करता हूं, मैं शूटर पर अपने विचार नहीं थोपता. आजकल के बच्चे खुद ही समझदार हैं, उन्हें पता है कि क्या करना चाहिए. मैंने बस कुछ चीजों को बदलने की कोशिश की और मनु भाकर का मैं ओलंपिक अभियान में मार्गदर्शन करूंगा. क्योंकि अभी दो और मैच होने हैं.