राम रहीम पर मेहरबान नायब सैनी सरकार! बर्थडे मनाने के लिए फिर मिली परौली, गुस्से में लोग
हरियाणा की नायब सैनी सरकार एक बार फिर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर मेहरबान नजर आई है. रेप और हत्या जैसे गंभीर मामलों में सजा काट रहे राम रहीम को एक बार फिर पैरोल पर रिहा कर दिया गया है, वो भी अपने जन्मदिन के मौके पर.

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर चर्चा में हैं. 2017 से उम्रकैद की सजा काट रहे राम रहीम को 40 दिन की पैरोल मिल गई है, जिसके बाद वह मंगलवार सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच सिरसा डेरा रवाना हो गया. यह लगातार तीसरी बार है जब 2025 में उन्हें जेल से बाहर आने का मौका मिला है, और कुल मिलाकर यह उनकी 14वीं बार पैरोल या फरलो है.
गौरतलब है कि 15 अगस्त को राम रहीम का जन्मदिन है, और इस बार भी वह जेल के बाहर रहकर अपना जन्मदिन और रक्षा बंधन दोनों मना पाएंगे. इस सिलसिले में बार-बार मिल रही राहत पर विपक्ष और जनता के एक वर्ग की ओर से सवाल उठ रहे हैं.
14वीं बार जेल से बाहर आए राम रहीम
साध्वियों के यौन शोषण और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या जैसे गंभीर अपराधों में दोषी ठहराए जाने के बाद गुरमीत राम रहीम पिछले आठ सालों से रोहतक की सुनारिया जेल में बंद हैं. इसके बावजूद उन्हें समय-समय पर पैरोल और फरलो दी जाती रही है. इस बार उन्हें 40 दिन की पैरोल मिली है. मंगलवार सुबह करीब सात बजे, उनकी मुंहबोली बेटी हनीप्रीत, डेरा चेयरमैन दान सिंह, डॉ. आरके नैन और शरणदीप सिंह सिटू रोहतक जेल पहुंचे और उन्हें साथ लेकर सिरसा डेरा के लिए रवाना हो गए.
2025 में तीसरी बार मिली राहत
वर्ष 2025 में अब तक राम रहीम को तीन बार जेल से बाहर आने का मौका मिला है. फरवरी और अप्रैल में उन्हें 21-21 दिन की फरलो दी गई थी, और अब उन्हें सीधे 40 दिन की पैरोल दी गई है. सरकार का कहना है कि "बाबा को मिली छुट्टियां जेल मैनुअल के अनुरूप हैं", लेकिन बार-बार मिलने वाली राहतों को लेकर सवाल उठना लाजिमी है.
राजनीतिक सरंक्षण का आरोप
राम रहीम को बार-बार मिलने वाली छूट को लेकर विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि भाजपा सरकार बाबा पर ‘मेहरबान’ है. कई लोगों का मानना है कि राजनीतिक फायदे के लिए चुनावी रणनीति के तहत राम रहीम को पब्लिक लाइफ में सक्रिय रहने का मौका दिया जा रहा है.
क्या है मामला?
साल 2017 में सीबीआई कोर्ट ने राम रहीम को साध्वी यौन शोषण मामले में दोषी ठहराया था. इसके बाद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में भी उन्हें सजा सुनाई गई. दोनों ही मामलों में वह उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. पहले वह पैरोल मिलने पर ज्यादातर समय उत्तर प्रदेश के बागपत में बिताते थे, लेकिन इस बार वह सीधे सिरसा डेरा लौटे हैं.
बढ़ते सवाल और चुप्पी का दौर
राम रहीम की बार-बार जेल से रिहाई को लेकर सरकार की ओर से स्पष्टीकरण जरूर दिया जाता है, लेकिन हर बार यह बहस फिर से छिड़ जाती है कि क्या कानून सबके लिए समान है? अगर जेल मैनुअल में छुट्टियों का प्रावधान है, तो बाकी कैदियों को भी उतनी ही आसानी से पैरोल क्यों नहीं मिलती? ये सवाल अब जनता के बीच सामान्य चर्चा बन चुके हैं.


