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नासा करेगा एक्सिओम-4 मिशन की अनडॉकिंग और वापसी का लाइव प्रसारण

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा अपने अंतिम चरण में है. एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर गए इस दल के लिए रविवार शाम (भारतीय समयानुसार) औपचारिक विदाई आयोजित की गई.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है. एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर गए इस दल के लिए रविवार शाम (भारतीय समयानुसार) औपचारिक विदाई आयोजित की गई. यह मिशन सोमवार को समाप्त होगा, जिसके बाद दल के सदस्यों के कैलिफोर्निया तट के पास पृथ्वी पर लौटने की उम्मीद है.

शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका में थे और उन्होंने अंतरिक्ष में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय बनकर इतिहास रच दिया. उनसे पहले वर्ष 1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के सैल्यूट-7 मिशन में हिस्सा लिया था.

एक्सिओम-4 मिशन और विदाई समारोह

अंतरिक्ष एजेंसी एक्सिओम स्पेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर बताया कि एक्सिओम-4 के चालक दल का विदाई कार्यक्रम सोमवार सुबह 8:55 बजे (CT) लाइव प्रसारित किया गया. यह कार्यक्रम अनडॉकिंग से पूर्व आयोजित हुआ. मिशन के चार सदस्य हैं– कमांडर पैगी व्हिटसन, पायलट शुभांशु शुक्ला, और दो मिशन विशेषज्ञ स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीवस्की व टिबोर. 

नासा ने पुष्टि की है कि अनडॉकिंग सोमवार को सुबह 7:05 बजे EST (भारतीय समयानुसार शाम 4:35 बजे) से पहले नहीं होगी. आईएसएस पर इस समय कुल 11 अंतरिक्ष यात्री हैं, जिनमें से सात एक्सपेडिशन 73 से और चार एक्सिओम-4 मिशन से जुड़े हुए हैं.

अंतरिक्ष में सांझा भोज का अनुभव

मिशन के अंत में सभी छह देशों के अंतरिक्ष यात्रियों ने मिलकर एक सांझा भोज का आयोजन किया, जिसमें हर देश के पारंपरिक व्यंजन शामिल थे. अमेरिकी यात्री जॉनी किम ने इस अनुभव को बेहद खास बताया. इस दौरान शुक्ला ने आम का रस और गाजर का हलवा भी भोज में शामिल करवाया, जबकि पोलिश यात्री ने पिरोगी परोसे.

वापसी और पुनर्वास

स्पलैशडाउन के बाद, शुभांशु शुक्ला को सात दिन के विशेष पुनर्वास कार्यक्रम से गुजरना होगा, ताकि वह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार खुद को ढाल सकें. उड़ान से पहले उन्हें स्पेससूट पहनने और तकनीकी परीक्षणों की प्रक्रिया पूरी करनी होगी.

मिशन लागत और भविष्य की योजना

इसरो ने शुक्ला की आईएसएस यात्रा के लिए लगभग ₹550 करोड़ खर्च किए. यह अनुभव भविष्य के गगनयान मिशन (2027) के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, जिससे भारत का मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम और सशक्त होगा.

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13 July 2025, 07:20 PM IST

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