score Card

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती आज, जानें उनके बारे में वो बातें जो आप शायद ही जानते हों

Netaji Subhas Chandra Bose birth anniversary: आज, 23 जनवरी 2025 को, भारत अपने महानायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है. आजादी के इस महान सेनानी ने अपनी दूरदर्शिता और निडरता से स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी. "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" जैसे जोशीले नारों से उन्होंने लाखों भारतीयों को प्रेरित किया. आइए उनके जीवन के प्रेरणादायक पहलुओं और देश के प्रति उनके अद्वितीय योगदान पर एक नजर डालते हैं.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Netaji Subhas Chandra Bose birth anniversary: आज, 23 जनवरी 2025 को, भारत अपने महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है. ओडिशा के कटक में जन्मे नेताजी भारत की आजादी के संघर्ष के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे. उनके साहस, दूरदर्शिता और निडरता ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी. उनकी प्रेरणादायक यात्रा और योगदान आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं.

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) के गठन और "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" जैसे जोशीले नारों के लिए याद किया जाता है. उनके जीवन के अनछुए पहलुओं पर नज़र डालते हुए, आइए जानें उनकी प्रेरक कहानी और कुछ रोचक तथ्य.

नेताजी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

23 जनवरी 1897 को कटक में जन्मे सुभाष चंद्र बोस ने रेवेनशॉ कॉलेजिएट स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की. उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज, कोलकाता से पढ़ाई की और आगे की शिक्षा के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय गए. 1919 में उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) परीक्षा पास की, लेकिन देशभक्ति के कारण अंग्रेजी हुकूमत की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया.

स्वामी विवेकानंद और चितरंजन दास से प्रेरणा

सुभाष चंद्र बोस स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे. चितरंजन दास उनके राजनीतिक गुरु थे. 1923 में उन्होंने अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का अध्यक्ष और बंगाल राज्य कांग्रेस के सचिव के रूप में अपनी जिम्मेदारियां निभाईं.

कांग्रेस से अलगाव और 'ऑल इंडिया फॉरवर्ड' ब्लॉक का गठन

1938 में नेताजी को कांग्रेस के हरिपुरा अधिवेशन में अध्यक्ष चुना गया. 1939 में त्रिपुरी अधिवेशन में पुनः अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने कांग्रेस के भीतर अलग गुट "ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक" की स्थापना की. इसके बाद नेताजी ने स्वतंत्र भारत केंद्र और आजाद हिंद फौज का गठन किया.

'दिल्ली चलो' और आजाद हिंद फौज का गठन

1943 में नेताजी जापान नियंत्रित सिंगापुर पहुंचे और ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया. उन्होंने 21 अक्टूबर 1943 को ‘आजाद हिंद सरकार’ और ‘भारतीय राष्ट्रीय सेना’ की स्थापना की.

'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का जादू

नेताजी के इस नारे ने लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया. आज भी यह नारा हर पीढ़ी को जोश और उत्साह से भर देता है.

वाराणसी का सुभाष चंद्र बोस मंदिर

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में नेताजी के पहले मंदिर की स्थापना 2020 में विशाल भारत संस्थान द्वारा की गई. यहां हर दिन राष्ट्रगान और नेता जी की पूजा की जाती है. यह मंदिर सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला है और यहां दलित वर्ग के पुजारी नेताजी की प्रतिमा का पूजन करते हैं.

पराक्रम दिवस का महत्व

2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की. इसके बाद से हर वर्ष यह दिन नेताजी के साहस और योगदान को याद करते हुए मनाया जाता है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन और उनके विचार आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं. उनका निडर व्यक्तित्व और अद्वितीय नेतृत्व भारतीय इतिहास का अमूल्य हिस्सा हैं.

calender
23 January 2025, 07:52 AM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag