ब्रायन जॉनसन ने क्यों छोड़ी एंटी-एजिंग ड्रग रैपामाइसिन? जानिए क्या है असली वजह!
ब्रायन जॉनसन, जो अपनी उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को रोकने के लिए रैपामाइसिन जैसी एंटी-एजिंग दवाओं का इस्तेमाल कर रहे थे, अब खुद ही यह दवा छोड़ चुके हैं। वह मानते हैं कि इस दवा ने उन्हें फायदे से ज्यादा नुकसान दिया। उनका यह फैसला उस समय आया जब उन्होंने अपनी नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री में अपनी एंटी-एजिंग दिनचर्या शेयर की थी। तो क्या है रैपामाइसिन का सच? क्या यह सच में उम्र बढ़ाने के लक्षणों को कम कर सकता है या फिर इसके साइड-इफेक्ट्स ही भारी पड़ सकते हैं? जानें पूरी कहानी!

Brian Johnson Stops Anti Aging Drug: प्रौद्योगिकी क्षेत्र के करोड़पति और जीवन को लेकर अपनी दीवानगी के लिए मशहूर ब्रायन जॉनसन, जिनकी नेटफ्लिक्स डॉक्यूमेंट्री डोंट डाई: द मैन हू वॉन्ट्स टू लिव फॉरएवर हाल ही में रिलीज़ हुई है, ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। जॉनसन, जो अपनी उम्र को रोकने के लिए एंटी-एजिंग उपायों पर काम कर रहे थे, ने रैपामाइसिन लेना बंद कर दिया है। उनका मानना था कि यह दवा उन्हें जीवन बढ़ाने में मदद करेगी, लेकिन अब उनका कहना है कि इससे उन्हें कुछ खास फायदे की बजाय नुकसान हुआ हो सकता है।
क्या है रैपामाइसिन और इसके बारे में क्या कहते हैं शोधकर्ता?
रैपामाइसिन एक इम्यूनोसप्रेसेंट दवा है, जिसका इस्तेमाल ट्रांसप्लांट रोगियों के लिए अंग अस्वीकृति को रोकने के लिए किया जाता है, और यह एंटी-एजिंग के तौर पर भी चर्चा में रही है। जॉनसन ने इस दवा को अपनी दिनचर्या में शामिल किया था, जिसमें वह रोज़ 54 गोलियाँ लेते थे और रैपामाइसिन का आक्रामक प्रोटोकॉल अपनाते थे। हालांकि, बाद में उन्हें यह एहसास हुआ कि शायद यह दवा उनकी सेहत के लिए सही नहीं रही, क्योंकि इसके गंभीर साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं।
रैपामाइसिन पर शोध और इसकी असरदारी
अमेरिका के रोसवेल पार्क कैंसर इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता मिखाइल वी. ब्लागोसक्लोनी के मुताबिक, रैपामाइसिन ने कुछ जानवरों पर किए गए अध्ययनों में उम्र बढ़ाने के लक्षणों को कम किया है, लेकिन इसका असर मानवों पर अब तक निर्णायक रूप से साबित नहीं हुआ है। कुछ अध्ययनों ने यह बताया है कि यह दवा जीवनकाल बढ़ा सकती है, लेकिन यह बुढ़ापे को धीमा करने में ज्यादा असरदार है, न कि उसे उलटने में।
क्या हैं रैपामाइसिन के साइड-इफेक्ट्स?
रैपामाइसिन का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली को दबा सकता है, जिससे बैक्टीरियल संक्रमण, निमोनिया और सेल्युलाइटिस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। जॉनसन के साथ काम करने वाले चिकित्सक डॉ. ओलिवर ज़ोलमैन ने भी बताया कि इस दवा के खतरनाक साइड-इफेक्ट्स हो सकते हैं। इसके अलावा, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर डॉ. वादिम ग्लैडीशेव ने भी रैपामाइसिन की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए और इसे लेकर वैज्ञानिक रूप से परीक्षण किए जाने की आवश्यकता जताई।
ब्रायन जॉनसन का प्लाज्मा और शॉकवेव थेरेपी
रैपामाइसिन के अलावा, जॉनसन अपनी असामान्य दिनचर्या के लिए भी चर्चित हैं। वह सुबह 11 बजे खाना खाते हैं, अपने परिवार के साथ प्लाज्मा एक्सचेंज करते हैं और शॉकवेव थेरेपी का इस्तेमाल करते हैं। उनका दावा है कि उनका प्लाज्मा इतना “साफ” है कि इसने चिकित्सा पेशेवरों को भी प्रभावित किया है।
जॉनसन का दावा: ‘वह लंबा जीवन जीना चाहते हैं’
ब्रायन जॉनसन ने हमेशा यह कहा है कि उनका उद्देश्य लंबा और स्वस्थ जीवन जीना है, और इसके लिए वह लगातार नई-नई विधियों को आजमाते रहे हैं। हालांकि, अब रैपामाइसिन को छोड़ने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि यह उनकी सेहत के लिए ठीक नहीं था। उनका अनुभव इस बात का प्रतीक है कि एंटी-एजिंग दवाओं का असर हर किसी पर अलग हो सकता है।
ब्रायन जॉनसन की कहानी हमें यह सिखाती है कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए किए जा रहे प्रयास कभी-कभी उलटे भी पड़ सकते हैं। जबकि रैपामाइसिन के फायदों पर शोध हो रहे हैं, यह स्पष्ट है कि किसी भी दवा या उपाय को अपनाने से पहले उसे लेकर पूरी जानकारी और वैज्ञानिक प्रमाण होना बेहद जरूरी है। ब्रायन का यह कदम हमें यह याद दिलाता है कि जीवन को बढ़ाने के बजाय, जीवन की गुणवत्ता पर ध्यान देना कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।


