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कर्नाटक में मासूमों की जान पर खतरा, खेलते वक्त खाए जहरीले बीज, 9 बच्चे अस्पताल में भर्ती

कर्नाटक के चामराजनगर में जहरीले बीज खाने से महाराष्ट्र से आए प्रवासी परिवारों के नौ बच्चे बीमार पड़ गए, हालांकि अब उनकी हालत स्थिर है. इस घटना ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य जागरूकता और सुरक्षा उपायों की गंभीर आवश्यकता को उजागर किया है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

कर्नाटक के चामराजनगर जिले के येरियूर गांव में एक गंभीर घटना सामने आई, जहां महाराष्ट्र से आए प्रवासी मजदूरों के नौ बच्चे जहरीले बीज खाने के बाद बीमार पड़ गए. ये बच्चे गन्ने के खेतों के पास खेलते समय स्थानीय रूप से 'मारलेकायी' कहे जाने वाले मार्किंग नट के बीज खा बैठे, जिनकी विषाक्तता से वे कुछ ही समय में उल्टी और बेचैनी का शिकार हो गए. घटना रविवार की है और सोमवार को पुलिस ने इसकी पुष्टि की.

जिला अस्पताल में उपचार जारी 

बीजों के सेवन के तुरंत बाद बच्चों को जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका तत्काल इलाज शुरू हुआ. डॉक्टरों ने बताया कि विष का कारण यही बीज हैं और फिलहाल सभी बच्चों की हालत स्थिर और नियंत्रण में है. हालांकि, अभी तक किसी अभिभावक ने औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय पुलिस मामले पर सतर्क निगरानी बनाए हुए हैं.

यह कोई पहली घटना नहीं है जब कर्नाटक में बच्चे जहरीले वनस्पति पदार्थों के कारण बीमार हुए हों. इससे पहले इस साल बल्लारी जिले में भी तीन बच्चे जहरीले जंगली जामुन खाने से अस्पताल पहुंचे थे. वहीं, 2021 में हासन जिले में पांच बच्चे अब्रस प्रीकेटोरियस नामक जहरीले पौधे के बीज खाने के बाद गंभीर रूप से बीमार पड़ गए थे. इन सभी मामलों में एक बात समान रही, जागरूकता की कमी.

विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण वनों और खेतों में उगने वाले कुछ फल और बीज बच्चों को आकर्षित कर सकते हैं, लेकिन इनमें मौजूद एल्कलॉइड और विषाक्त रसायन खतरनाक हो सकते हैं. प्रवासी परिवार, जो स्थानीय वनस्पति को नहीं पहचानते, उनके बच्चों के लिए जोखिम और अधिक होता है.

खेतों और गांवों में लगाए गए चेतावनी बोर्ड

इस स्थिति से निपटने के लिए चामराजनगर के स्थानीय NGO और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एक सामूहिक जागरूकता अभियान शुरू करने जा रहे हैं, जिसमें बच्चों और उनके अभिभावकों को अज्ञात बीज या फल खाने के खतरों से आगाह किया जाएगा. साथ ही, जिला प्रशासन से अनुरोध किया गया है कि खेतों और गांवों में चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके.

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04 August 2025, 03:40 PM IST

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