नीरव मोदी-मेहुल चोकसी की वापसी की तैयारी, ब्रिटेन की टीम ने तिहाड़ जेल में देखे इंतजाम
भारत सरकार भगोड़े आर्थिक अपराधियों को भारत लाने के लिए सक्रिय है। इसी कड़ी में ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस की टीम ने तिहाड़ जेल का निरीक्षण किया। इस दौरे का मकसद था सुरक्षा और सुविधाओं की जांच कर अदालतों को आश्वस्त करना।

National News: भारत की बड़ी पहल भारत सरकार लंबे समय से आर्थिक अपराधियों को वापस लाने की कोशिश कर रही है। नीरव मोदी, विजय माल्या और मेहुल चोकसी जैसे नाम इसमें सबसे अहम हैं। सरकार चाहती है कि इन भगोड़ों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाए। हाल ही में ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस की एक टीम भारत आई। इस टीम ने तिहाड़ जेल का दौरा किया और वहां की सुरक्षा का जायजा लिया। टीम का मकसद था देखना कि प्रत्यर्पित होने वाले अपराधियों को सुरक्षित माहौल मिलेगा या नहीं।
जेल की स्थिति पर सवाल
दरअसल ब्रिटेन की अदालतें कई बार तिहाड़ जेल की स्थिति पर सवाल उठा चुकी हैं। उन्होंने कहा था कि जेल का माहौल मानवाधिकारों के लिहाज से कमजोर है। इसी वजह से भारत की कई प्रत्यर्पण याचिकाएं अटक गईं। भारत सरकार ने अब साफ किया है कि किसी भी आरोपी के साथ न तो मारपीट होगी और न ही गैरकानूनी पूछताछ। यही भरोसा दिलाने के लिए ब्रिटेन की टीम को तिहाड़ लाया गया।
हाई-प्रोफाइल अपराधियों के इंतजाम
ब्रिटेन की टीम तिहाड़ की हाई-सिक्योरिटी वार्ड तक गई। वहां मौजूद कैदियों से बात भी की गई। भारतीय अधिकारियों ने साफ कहा कि हाई-प्रोफाइल अपराधियों के लिए अलग एन्क्लेव बनाया जा सकता है। यहां नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे आरोपियों को सुरक्षित रखा जाएगा। इससे ब्रिटेन की अदालतों को भरोसा दिलाना आसान होगा।
सरकार का साफ संदेश
भारत सरकार इस बार कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती। ब्रिटेन को साफ संदेश दिया गया है कि भारत में कानून का राज है और कैदियों को पूरा सम्मान मिलेगा। यही नहीं, जेल प्रशासन को भी सख्त आदेश दिए गए हैं कि किसी भी प्रत्यर्पित आरोपी के साथ गलत व्यवहार नहीं होगा।
लंबित हैं 178 मामले
जानकारी के मुताबिक भारत के कुल 178 प्रत्यर्पण अनुरोध अभी विदेशों में लंबित हैं। इनमें से करीब 20 मामले ब्रिटेन में अटके हुए हैं। विजय माल्या, नीरव मोदी और हथियार कारोबारी संजय भंडारी इनमें बड़े नाम हैं। कई खालिस्तानी नेताओं के मामले भी ब्रिटेन की अदालतों में पड़े हैं। भारत चाहता है कि ये सभी जल्द भारत लाए जाएं। ब्रिटेन की भूमिका अहम ब्रिटेन की अदालतें अक्सर मानवाधिकार और जेल की स्थिति को लेकर सख्त रहती हैं। यही वजह है कि भारत ने खुद ब्रिटेन की टीम को बुलाकर तिहाड़ का दौरा कराया। इससे अदालतों को यकीन दिलाना आसान होगा। भारत का तर्क है कि जो भी अपराधी भारत में प्रत्यर्पित होगा, उसके साथ पूरी तरह से कानून के मुताबिक व्यवहार होगा।
उम्मीद की नई किरण
इस पूरे घटनाक्रम ने भगोड़ों की वापसी की उम्मीद बढ़ा दी है। नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे मामलों में भारत को मजबूत आधार मिल सकता है। अगर ब्रिटेन आश्वस्त हो गया तो इन आरोपियों की वापसी का रास्ता साफ हो जाएगा। भारत सरकार इसे अपनी बड़ी उपलब्धि मान रही है। किसानों और आम जनता के लिए यह संदेश है कि अब कोई भी बड़ा आर्थिक अपराधी देश से भागकर बच नहीं पाएगा।


