पहलगाम की बहनें थीं कमजोर.... Pahalgam हमले की पीड़ा पर BJP सांसद का ऐसा बयान, जो सबको चौंका गया!
BJP सांसद ने महिलाओं को साहस की कमी का दोषी बताया, कहा अगर वो लड़तीं तो जानें बच सकती थीं. इस बात ने राजनीति में तूफान ला दिया है. कांग्रेस और अन्य पार्टियां इस बयान की कड़ी आलोचना कर रही हैं. क्या सच में महिलाओं में कमी थी या ये बयान गलत है? पूरा मामला जानने के लिए पढ़िए पूरी खबर......

Pahalgam Attack: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के पास खूबसूरत बैसरन घास के मैदान में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. उस हमले में पांच आतंकवादियों ने 25 पर्यटकों और एक टट्टूवाले की बेरहमी से हत्या कर दी थी. उस हमले में कई परिवार टूट गए, कई महिलाओं ने अपने पति खो दिए और घाटी की ये दर्दनाक तस्वीर देश की राष्ट्रीय चेतना का हिस्सा बन गई.
भाजपा सांसद का विवादित बयान, महिलाओं पर लगाया आरोप
लेकिन इस दर्दनाक घटना के बाद जो बयान आया, उसने सबको हैरान कर दिया. हरियाणा के भिवानी से भाजपा के राज्यसभा सांसद राम चंद्र जांगड़ा ने कहा कि पहलगाम की उन शोकाकुल महिलाओं में साहस, जोश और वीरता की कमी थी. उन्होंने आरोप लगाया कि अगर उन महिलाओं और पर्यटकों को अग्निवीर ट्रेनिंग मिली होती तो वे आतंकवादियों का सामना कर पाते और इतनी जानें नहीं जातीं.
भाजपा नेता लगातार भारतीय सेना और शहीदों का अपमान कर रहे हैं, जो उनकी ओछी और घटिया मानसिकता को उजागर करते हैं।
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 25, 2025
राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा का यह शर्मनाक बयान बताता है कि सत्ता के नशे में चूर भाजपा इतनी संवेदनहीन हो चुकी है कि पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के बलिदान के… pic.twitter.com/LOcDuIhPZL
सांसद जांगड़ा ने एक कार्यक्रम में कहा, "जहां हमारी बहनें थीं, उनका सिन्दूर छीन लिया गया, लेकिन उनमें वीरांगना वाला जज्बा नहीं था. वे हाथ जोड़कर मारे गए. हाथ जोड़ने से कोई नहीं बचता. अगर लड़ाई होती तो हमले में कम हताहत होते."
अग्निपथ योजना का हवाला, बहादुरी की उम्मीद
उन्होंने आगे कहा कि देश में अग्निपथ योजना शुरू की गई है, जिसमें युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है. उनका मानना था कि अगर पर्यटकों को भी ऐसी ट्रेनिंग मिलती, तो वे आतंकियों को रोक सकते थे. उन्होंने इतिहास में मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर और रानी लक्ष्मीबाई का उदाहरण देते हुए कहा कि महिलाएं भी लड़ सकती हैं, इसलिए वे चाहते हैं कि हमारी बहनें भी बहादुर बनें.
राजनीति और प्रतिक्रियाएं: बयान पर तीखी आलोचना
राम चंद्र जांगड़ा के इस बयान पर राजनीति भी गरमाई. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे “शर्मनाक” और “अत्यंत आपत्तिजनक” बताया. उन्होंने कहा कि यह बयान भारतीय सेना और शहीदों का अपमान है. उन्होंने सांसद की असंवेदनशीलता पर कड़ी निंदा की.
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने भी भाजपा सांसद को खरी-खोटी सुनाई और कहा कि “बेशर्मी की भी एक हद होती है. इस तरह की बात करना गलत है, खासकर उन महिलाओं के लिए जिन्होंने अपने पति खोए हैं.”
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी भाजपा की मानसिकता पर हमला करते हुए कहा कि यह केवल एक पार्टी नहीं, बल्कि “महिला विरोधी सोच का दलदल” है.
क्या सचमुच बहनें कमज़ोर थीं या बयान गलत दिशा में गया?
यह बयान सुनकर कई लोग चौंक गए कि क्या सच में आतंकवाद के वक्त महिलाओं में वीरता का अभाव होता है? या फिर ये बयान वक्त और भावनाओं को समझे बिना दिया गया एक असंवेदनशील तर्क था? कई सामाजिक कार्यकर्ता और आम जनता इसे दुर्भावनापूर्ण और अनुचित बता रही है. पहलगाम हमला एक बड़ा दर्द है जिसे भुलाया नहीं जा सकता. लेकिन शोकाकुल महिलाओं को दोष देने वाला बयान न केवल उन्हें अपमानित करता है बल्कि पूरे समाज को भी दो हिस्सों में बांटता है. बहादुरी केवल हथियार लेकर लड़ने तक सीमित नहीं होती. हर उस महिला का सम्मान होना चाहिए जिसने परिवार खोया और मजबूती से जिया. वक्त की मांग है कि हम एकजुट होकर आतंकवाद का सामना करें, न कि एक-दूसरे पर आरोप लगाएं.


