हार की हताशा से बाहर...PM मोदी के बयान पर विपक्ष ने किया हंगामा, बोला- मुद्दे उठाना ड्रामा तो नहीं
शीतकालीन सत्र से पहले पीएम मोदी ने विपक्ष को “हार की हताशा से बाहर आने” की सलाह दी, जिस पर विपक्ष भड़क गया. आरजेडी, कांग्रेस और सपा के नेताओं ने इस बयान को अपमानजनक बताते हुए पलटवार किया. विपक्ष ने दावा किया कि असली मुद्दों SIR, चुनाव प्रक्रिया और पलूशन पर चर्चा ही नहीं होने दी जाती.

नई दिल्ली : शीतकालीन सत्र की शुरुआत के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में प्रवेश से पहले मीडिया से बातचीत की. उन्होंने विपक्ष से संवाद की अपील करते हुए कहा कि संसद में सार्थक चर्चा होनी चाहिए. हालांकि, बिहार चुनाव का जिक्र करते हुए उनका यह कहना कि “विपक्ष हार की हताशा से बाहर आए और संसद चलने दे,” विपक्ष के गुस्से का कारण बना. पीएम मोदी का यह बयान संसद शुरू होने से पहले ही राजनीतिक तकरार की चिंगारी बन गया.
विपक्षी दलों ने तीखा हमला करना शुरू कर दिया
‘जनता के मुद्दे उठाना कब से ड्रामा हो गया?’
कांग्रेस सांसद प्रियंका वाड्रा ने भी सीधे प्रधानमंत्री पर पलटवार किया. उन्होंने कहा कि जनता के सवाल चुनावी प्रक्रिया, SIR, पलूशन पर चर्चा करना लोकतांत्रिक अधिकार है. उन्होंने सवाल उठाया कि “जब हम मुद्दे उठाते हैं तो उसे ड्रामा कहा जाता है, जबकि असल ‘ड्रामा’ तो तब होता है जब चर्चा ही नहीं होने दी जाती.” प्रियंका के अनुसार, संसद जनता की आवाज उठाने का सबसे बड़ा मंच है, और उसे कमजोर नहीं किया जाना चाहिए.
‘ड्रामा मास्टर हमें कैसे समझा रहे हैं?’
कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने प्रधानमंत्री पर व्यंग्य करते हुए कहा कि “हमको ड्रामा करना सीखना है तो उनसे सीखें. कैमरे का ऐंगल बदलकर और कपड़े बदलकर कैसे ड्रामा किया जाता है, यह हमें नहीं आता.” उन्होंने कहा कि विपक्ष मजबूत है और किसी ‘हताशा’ में नहीं है. उन्होंने साफ किया कि SIR का मसला संसद में जोरदार तरीके से उठाया जाएगा.
SIR मुद्दे पर विपक्ष एकजुट, संसद में टकराव तय
समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव, अवधेश कुमार सहित कई विपक्षी नेताओं ने यह ऐलान किया कि जब तक SIR पर चर्चा नहीं होती, वे किसी और विषय पर बात नहीं करेंगे. इससे साफ है कि शीतकालीन सत्र के शुरुआती दिनों में संसद में गंभीर टकराव और गतिरोध की संभावना बढ़ गई है.


