''ओवैसी का आरोप: 'रिपोर्ट में सच छिपाया गया', जगदंबिका पाल ने दिया जोरदार जवाब!"
ओवैसी ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर रिपोर्ट से असहमति नोट हटाने का आरोप लगाया, लेकिन समिति अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने इसे नकारते हुए कहा कि सब कुछ नियमों के तहत किया गया. ओवैसी का कहना था कि उनके नोट को बिना जानकारी के संपादित किया गया, जबकि पाल ने उन्हें गुमराह करने वाला बताया. अब यह देखना होगा कि इस विवाद का क्या असर होगा और आगे क्या होगा!

Owaisi Allegations: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन बिल को लेकर कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनका जवाब देते हुए समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. ओवैसी ने आरोप लगाया था कि संसदीय कमेटी के चेयरमैन ने अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करते हुए रिपोर्ट से असल मुद्दों को हटाया. वहीं, जगदंबिका पाल ने इस आरोप को सिरे से नकारते हुए कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह से नियमों के अनुसार तैयार की गई है.
ओवैसी का आरोप: असहमति नोट से छेड़छाड़
ओवैसी ने अपनी एक्स पोस्ट में कहा, ‘‘मैंने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ समिति को एक विस्तृत असहमति नोट सौंपा था, लेकिन यह हैरान करने वाली बात है कि मेरे नोट के कुछ हिस्सों को मेरी जानकारी के बिना संपादित किया गया.’’ उन्होंने कहा कि उनके द्वारा दिए गए असहमति नोट के कुछ महत्वपूर्ण हिस्से रिपोर्ट में शामिल नहीं किए गए, जबकि वह भाग विवादास्पद नहीं थे, बल्कि केवल तथ्यों पर आधारित थे. ओवैसी ने यह भी सवाल उठाया कि अगर वे रिपोर्ट में कोई बदलाव चाहते थे, तो उन्हें क्यों नहीं शामिल किया गया?
जगदंबिका पाल का जवाब: सब कुछ था सही तरीके से
जगदंबिका पाल ने ओवैसी के आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया. उन्होंने कहा, ‘‘ओवैसी लोगों को गुमराह कर रहे हैं, जबकि वह खुद कमेटी के सदस्य हैं. रिपोर्ट पूरी तरह से नियमों के तहत बनाई गई है और कोई भी एक इंच जमीन नहीं लिया गया है. वक्फ बाय यूजर से संबंधित सभी सवालों का हल आगे से किया जाएगा, न कि पीछे से.’’ उन्होंने यह भी साफ किया कि रिपोर्ट में जो 482 पानी की रिपोर्ट और 221 पन्नों का असहमति नोट था, वह पूरी तरह से नियमों के अनुसार था और कोई आवाज दबाई नहीं गई थी.
ओवैसी के आरोपों का विस्तार
ओवैसी ने यह भी दावा किया कि उनके असहमति नोट के 130 पन्नों से ज्यादा के हिस्से को रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया और कुछ पन्नों को ब्लैक आउट कर दिया गया. इसके अलावा, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रिपोर्ट में 40 असहमति बिंदुओं को हटा दिया गया, जिनका विरोध उन्होंने किया था. ओवैसी ने खास तौर पर वक्फ से संबंधित आदिवासियों की जमीन पर कब्जे के आरोपों पर आपत्ति जताई.
राजनीतिक माहौल में गर्मी
यह विवाद अब संसद में और राजनीतिक हलकों में गरमा गया है. कांग्रेस और विपक्षी दल जहां इसे सरकार और समिति के खिलाफ एक बड़ा आरोप मान रहे हैं, वहीं भाजपा इसे विपक्ष की राजनीति का हिस्सा बता रही है. अब यह देखना बाकी है कि इस मामले पर आगे क्या स्थिति बनती है और क्या ओवैसी की आपत्तियां रिपोर्ट में किसी बदलाव की वजह बन सकती हैं.
यह विवाद वक्फ संशोधन विधेयक के भविष्य को लेकर भी एक बड़ा सवाल खड़ा करता है. सभी की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या वक्फ से जुड़ी जमीनों पर आने वाले समय में कोई नया बदलाव होगा या फिर यह मामला इसी तरह बना रहेगा.