पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ीं: कर्ज, पानी की कमी और भारत-अफगान रिश्तों की तगड़ी चुनौती
पाकिस्तान कर्ज और जल संकट से परेशान है, वहीं भारत-अफगानिस्तान के मजबूत होते रिश्ते उसे और घेर रहे हैं. तालिबान के साथ तीन बार हुई बातचीत ने दोनों देशों के सहयोग को गहरा किया है, जिससे पाकिस्तान की साजिशें बेनकाब हो रही हैं.
इंटरनेशनल न्यूज. पाकिस्तान के लिए हाल के समय में चुनौतियां कई स्तरों पर बढ़ती जा रही हैं. कर्ज के बोझ और जल संकट की गंभीरता के बीच, अब भारत और अफगानिस्तान के मजबूत होते रिश्ते पाकिस्तान की चिंता को और बढ़ा रहे हैं. अफगानिस्तान ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, जिससे यह साफ हो गया कि वह भारत के समर्थन में खड़ा है. भारत और अफगानिस्तान के बीच पिछले पांच महीनों में तीन बार हुई उच्च स्तरीय बातचीत इस नजदीकी का प्रमाण है, जो पाकिस्तान के लिए एक नई चिंता बन गई है.
भारत-अफगानिस्तान के रिश्तों में नई मजबूती
अफगानिस्तान और भारत के बीच बढ़ते द्विपक्षीय संबंध क्षेत्र में स्थिरता और विकास के लिए सकारात्मक संकेत हैं. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी से फोन पर बातचीत की. इस दौरान जयशंकर ने अफगानिस्तान की पहलगाम हमले की निंदा की सराहना की और पाकिस्तान की झूठी और निराधार अफवाहों को खारिज करने के लिए तालिबान सरकार का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि भारत और अफगानिस्तान की पारंपरिक दोस्ती और विकास सहयोग को बनाए रखना दोनों देशों की प्राथमिकता है.
पहलगाम हमले के बाद यह दूसरी बार था जब दोनों देशों ने काबुल में बैठक की. इस मुलाकात में द्विपक्षीय राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने, व्यापार सहयोग बढ़ाने और वीजा प्रक्रियाओं को आसान बनाने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. इससे यह स्पष्ट हुआ कि दोनों देश कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी एक साथ खड़े हैं.
दुबई में हुई पहली बैठक
पिछले जनवरी में दुबई में भारत और अफगानिस्तान के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई थी, जिसमें भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मावलवी अमीर खान मुत्ताकी शामिल थे. इस बैठक में मानवीय सहायता, खेल, सांस्कृतिक संबंध, क्षेत्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय हित के प्रोजेक्ट्स पर विस्तार से चर्चा हुई. भारत ने अफगानिस्तान को अतिरिक्त मानवीय सहायता प्रदान करने का वादा किया, जिससे दोनों देशों के रिश्ते और मजबूत हुए. यह तीन महत्वपूर्ण वार्ताएं यह दर्शाती हैं कि भारत और अफगानिस्तान के बीच मजबूत और स्थायी संबंध बन रहे हैं.
पाकिस्तान की नाकाम कोशिशें
पाकिस्तान के लिए यह बढ़ती दोस्ती किसी चुनौती से कम नहीं. हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के दौरान पाकिस्तान ने अफगानिस्तान और भारत के रिश्तों में जहर घोलने की कोशिश की. पाकिस्तानी सेना ने भारत पर अफगानिस्तान में मिसाइल दागने का आरोप लगाया, जिसे भारत ने पूरी तरह से खारिज कर दिया. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इन दावों को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि पाकिस्तान ने खुद पिछले डेढ़ साल में अफगानिस्तान पर कई बार एयरस्ट्राइक की हैं, जिनमें सबसे हाल की दिसंबर 2024 में हुई थी.
मिस्री ने कहा कि पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि उसने अफगानिस्तान में नागरिक आबादी और बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया है. ऐसे आरोप लगाने से न केवल पाकिस्तान की छवि खराब होती है, बल्कि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए भी खतरा बन जाता है.
कर्ज और जल संकट से घिरा पाकिस्तान
पाकिस्तान आर्थिक संकट और जल संकट से जूझ रहा है. देश में पानी की कमी से कृषि और जनजीवन पर बुरा असर पड़ा है. इसके अलावा बढ़ता कर्ज भी पाकिस्तान की आर्थिक हालत को कमजोर करता जा रहा है. इस समय देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह इन घरेलू संकटों का समाधान करे और क्षेत्रीय स्तर पर अपने रिश्तों को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए.
भारत-अफगानिस्तान दोस्ती का क्षेत्रीय असर
भारत और अफगानिस्तान की दोस्ती न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत कर रही है, बल्कि दक्षिण एशिया के समग्र सुरक्षा और विकास पर भी सकारात्मक प्रभाव डाल रही है. इस दोस्ती के कारण पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दे और अन्य क्षेत्रीय मामलों में अपनी रणनीतियों को फिर से सोचने पर मजबूर होना पड़ा है. अफगानिस्तान का स्पष्ट समर्थन भारत के लिए एक राजनीतिक जीत है, जिसने पाकिस्तान की कश्मीर नीति को चुनौती दी है. यह स्थिति पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका साबित हो रही है, क्योंकि अब वह अकेले भारत के खिलाफ संघर्ष नहीं लड़ रहा है, बल्कि क्षेत्रीय मंच पर उसके विकल्प कम होते जा रहे हैं.
भविष्य की चुनौतियां और समाधान
पाकिस्तान के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह न केवल आर्थिक और जल संकट से निपटे, बल्कि अपने पड़ोसी देशों के साथ बेहतर और स्थिर संबंध बनाए. भारत और अफगानिस्तान की बढ़ती दोस्ती को रोकना या कमजोर करना आसान नहीं होगा. इसके लिए पाकिस्तान को अपने राजनयिक दृष्टिकोण में बदलाव लाना होगा और क्षेत्रीय शांति के लिए सकारात्मक भूमिका निभानी होगी. नतीजा यह है कि क्षेत्रीय स्थिरता और विकास के लिए भारत और अफगानिस्तान की साझेदारी और मजबूत हो रही है, जबकि पाकिस्तान के सामने कई संकट एक साथ खड़े हो रहे हैं. अगर पाकिस्तान इन चुनौतियों से उबरना चाहता है, तो उसे अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना होगा और आपसी सहयोग की राह पर कदम बढ़ाना होगा.


