HQ-9 के चक्कर में फेल हुआ पाकिस्तान का एयर डिफेंस, भारत ने मिसाइलों से दिया करारा जवाब
पाकिस्तान का चीनी HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम भारत की सैन्य ताकत और रणनीति के सामने पूरी तरह से विफल हो गया. भारत की उन्नत प्रणालियाँ, जैसे S-400, राफेल, सुखोई और ब्रह्मोस ने न केवल पाकिस्तान की हवाई रक्षा को नष्ट किया, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि 'चाइनीज माल' की प्रभावशीलता केवल दिखावे तक ही सीमित है.

भारत द्वारा हाल ही में किए गए सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली की असल स्थिति को उजागर कर दिया. चीन से आयात किए गए HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम पर पाकिस्तान ने काफी भरोसा जताया था, लेकिन भारत की उन्नत तकनीक और सटीक रणनीति के आगे यह सिस्टम बुरी तरह विफल साबित हुआ. भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाते हुए कई मिसाइलें दागीं, जिनमें HQ-9 पूरी तरह नाकाम रहा.
पहलगाम हमले के बाद बदली स्थिति
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंक के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी. इस संभावित हमले से घबराए पाकिस्तान ने सीमा पर सैन्य गतिविधियां तेज कर दीं. वायुसेना के JF-17 और J-10 जैसे फाइटर जेट्स को तैनात किया गया और कराची, रावलपिंडी जैसे शहरों में HQ-9 सिस्टम की तैनाती कर दी गई.
HQ-9: पाकिस्तान की वायु रक्षा की रीढ़?
HQ-9 एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे चीन ने विकसित किया है. पाकिस्तान ने 2021 में इसे अपनी सेना में शामिल किया. खासकर भारत की ब्रह्मोस, सुखोई और राफेल जैसे खतरों से निपटने के लिए. इसकी रेंज 125 से 200 किलोमीटर के बीच बताई जाती है और यह एक साथ 100 टारगेट्स को ट्रैक करने में सक्षम माना जाता है. हालांकि, वास्तविक युद्ध की स्थिति में इसकी कार्यक्षमता संदिग्ध साबित हुई.
तकनीकी खामियां और असफलता के कारण
भारतीय मिसाइलों ने हालिया हमलों में पाकिस्तान के बहावलपुर जैसे ठिकानों को निशाना बनाया, लेकिन HQ-9 उन्हें रोकने में नाकाम रहा. इसके पीछे प्रमुख कारण तकनीकी कमियां थीं:
रडार क्षमता की सीमा: HQ-9 का रडार सिस्टम भारत के S-400 के मल्टी-AESA रडार जितना उन्नत नहीं है. ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइलों को यह ट्रैक तो कर सकता है, पर इंटरसेप्ट नहीं कर पाता.
भारत की SEAD रणनीति: भारत ने "सप्रेशन ऑफ एनिमी एयर डिफेंस" यानी SEAD रणनीति अपनाई. इसमें सुखोई-30 MKI जैसे विमानों से रुद्रम-1 और Kh-31P जैसी एंटी-रेडिएशन मिसाइलें दागी गईं, जो पाकिस्तानी रडार और HQ-9 को निष्क्रिय करने में सक्षम हैं.
चीनी हथियारों की गुणवत्ता: पाकिस्तान की सैन्य जरूरतों का 95% से ज्यादा हिस्सा चीन से आता है, लेकिन चीनी हथियारों की विश्वसनीयता पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. HQ-9 भी इसी श्रेणी में आता है.
भारत की मिसाइल क्षमता का प्रदर्शन
भारत ने हालिया हमलों में जो मिसाइलें प्रयोग कीं. वे HQ-9 जैसे सिस्टम के लिए अत्यधिक चुनौतीपूर्ण रहीं:
ब्रह्मोस मिसाइल: 2.8 मैक की गति से उड़ने वाली यह सुपरसोनिक मिसाइल HQ-9 के रडार और इंटरसेप्टर की पकड़ से बाहर रही.
रुद्रम और अस्त्र मिसाइलें: इनकी उच्च सटीकता और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमताओं ने पाकिस्तान की रक्षा को बेअसर किया.
S-400 सिस्टम: भारत का S-400 सिस्टम पाकिस्तान के HQ-9 से कई गुना बेहतर है. इसकी 400 किमी रेंज और 5 मिनट में तैनाती की क्षमता इसे कहीं अधिक प्रभावशाली बनाती है.
सोशल मीडिया और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस पूरे घटनाक्रम को लेकर जबरदस्त चर्चा हुई. X (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूजर ने HQ-9 को "चाइनीज शोपीस" बताया, जबकि दूसरे ने कहा कि भारत की 9 मिसाइलों ने HQ-9 की सच्चाई सबके सामने ला दी. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन से आयातित हथियार सीमित संघर्षों में तो काम आ सकते हैं, लेकिन जब सामने भारत जैसी सैन्य ताकत हो, तो उनकी सीमाएं उजागर हो जाती हैं.
HQ-9 की असलियत
HQ-9 के तीन प्रमुख वेरिएंट हैं- HQ-9, HQ-9A और HQ-9B. इनकी रेंज क्रमश: 120, 200 और 250–300 किलोमीटर तक बताई जाती है. इसकी गति मैक 4 से अधिक है, लेकिन ऊंचाई, ट्रैकिंग क्षमता और एक साथ टारगेटिंग के आंकड़ों को लेकर पारदर्शिता नहीं है. इसकी मिसाइलें अधिकतम 180 किलोग्राम भार ले जा सकती हैं, लेकिन कितने टारगेट्स को एक साथ निशाना बना सकती हैं. इसकी जानकारी ओपन सोर्स में नहीं मिलती.