बदलने जा रहा PMO का पता, जानिए अब कहां होगा शिफ्ट
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), कैबिनेट सचिवालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय नवरात्रि से नए एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव परिसर में शिफ्ट होंगे, जबकि साउथ और नॉर्थ ब्लॉक को संग्रहालय में बदला जाएगा.

PMO new address: देश की सत्ता का सबसे अहम केंद्र यानी प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) जल्द ही अपने दशकों पुराने पते से बदलने जा रहा है. रायसीना हिल्स स्थित राष्ट्रपति भवन परिसर का साउथ ब्लॉक लंबे समय से पीएमओ का मुख्यालय रहा है. सूत्रों के मुताबिक, आगामी नवरात्रि से प्रधानमंत्री कार्यालय, कैबिनेट सचिवालय और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय अपने नए परिसर में शिफ्ट होना शुरू कर सकते हैं. ये कदम सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत हो रहे एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव निर्माण का हिस्सा है, जो अब अपने अंतिम चरण में है.
साउथ और नॉर्थ ब्लॉक बनेंगे संग्रहालय
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नए पते पर शिफ्ट होने के बाद ऐतिहासिक साउथ ब्लॉक और नॉर्थ ब्लॉक को संग्रहालय में बदलने की योजना है. दोनों इमारतें औपनिवेशिक काल की वास्तुकला की धरोहर हैं और इन्हें संरक्षित स्वरूप में आम जनता के लिए खोला जाएगा.
एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव:-
एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव राष्ट्रपति भवन परिसर के पास, प्लॉट नंबर 36/38 पर विकसित किया जा रहा है. यह अत्याधुनिक परिसर प्रधानमंत्री आवास के भी करीब होगा और इसमें प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), कैबिनेट सचिवालय, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय तथा एक नया सम्मेलन केंद्र इंडिया हाउस शामिल होगा. इस परियोजना की अनुमानित लागत 1,189 करोड़ रुपये है. इसे 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य था, लेकिन संभावना है कि प्रस्तावित कार्यालय इससे पहले ही शिफ्ट हो जाएंगे.
मंत्रालयों का पहले ही हो चुका है स्थानांतरण
पिछले महीने ही गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय को नए कर्तव्य भवन-3 में स्थानांतरित किया गया था. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने दफ्तरों की स्थिति पर नाराजगी जताई थी. उन्होंने कहा था कि गृह मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालय दशकों से तंग और कम रोशनी वाली इमारतों में काम कर रहे थे.
क्यों जरूरी हुआ सेंट्रल विस्टा का पुनर्विकास?
दरअसल, औपनिवेशिक दौर की पुरानी इमारतें आधुनिक जरूरतों के लिए काफी तंग और सुविधाओं से वंचित हो गई थीं. जगह की कमी, सुरक्षा मानकों की चुनौती और तकनीकी ढांचे के अभाव ने नए बुनियादी ढांचे की मांग को मजबूती दी. यही कारण है कि सरकार ने सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना की शुरुआत की, ताकि भारत की उभरती वैश्विक स्थिति को प्रतिबिंबित करने वाला प्रशासनिक ढांचा तैयार हो सके.


