'आप यहूदी-विरोधी भावना को बढ़ावा दे रहे हैं', नेतन्याहू ने ऑस्ट्रेलियाई PM पर बोला हमला, बोंडी बीच शूटिंग के लिए ठहराया जिम्मेदार
सिडनी में यहूदी कार्यक्रम पर हुई गोलीबारी के बाद इजरायली पीएम नेतन्याहू ने फिलिस्तीनी राज्य के समर्थन को लेकर ऑस्ट्रेलिया की आलोचना की. इस घटना ने सुरक्षा, यहूदी-विरोध और दो-राज्य समाधान पर वैश्विक बहस को तेज कर दिया.

नई दिल्लीः ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में एक यहूदी धार्मिक अवकाश से जुड़े कार्यक्रम के दौरान हुई सामूहिक गोलीबारी ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया. इस भयावह घटना में 16 लोगों की जान चली गई. न्यू साउथ वेल्स (NSW) पुलिस के अनुसार, हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं और मामले की गहन जांच की जा रही है. इस घटना ने न सिर्फ ऑस्ट्रेलिया की आंतरिक सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े किए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी नई बहस को जन्म दे दिया है.
नेतन्याहू का ऑस्ट्रेलियाई नीति पर तीखा हमला
घटना के बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस पर कड़ा हमला बोला. नेतन्याहू ने फिलिस्तीनी राज्य के समर्थन को लेकर ऑस्ट्रेलिया की नीति की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह का रुख यहूदी-विरोधी घटनाओं को बढ़ावा देता है. उन्होंने आरोप लगाया कि फिलिस्तीनी राज्य की मांग करना उन ताकतों को प्रोत्साहित करता है जो यहूदियों के खिलाफ नफरत फैलाती हैं.
‘यहूदी विरोधी आग में घी डालने जैसा’ बयान
नेतन्याहू ने अपने बयान में कहा कि फिलिस्तीनी राज्य के समर्थन की सार्वजनिक मांग यहूदी विरोधी भावनाओं को और भड़काती है. उनके शब्दों में, यह मांग यहूदी विरोधी आग में घी डालने जैसा काम करती है. उन्होंने इशारों में कहा कि हालिया सिडनी गोलीबारी जैसी घटनाएं ऐसे ही राजनीतिक रुख का परिणाम हो सकती हैं, हालांकि उन्होंने इस दावे के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया.
गाजा युद्ध और वैश्विक यहूदी-विरोधी चिंता
गाजा में जारी युद्ध के बीच नेतन्याहू लगातार यह तर्क देते रहे हैं कि इजरायल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आलोचना और फिलिस्तीनी राष्ट्र की मांगें दुनिया भर में यहूदी-विरोधी सोच को बढ़ावा दे रही हैं. उनका कहना है कि इजरायल की सैन्य कार्रवाइयों की आलोचना और फिलिस्तीन के समर्थन को कई जगह यहूदियों के खिलाफ नफरत में बदला जा रहा है.
ऑस्ट्रेलिया से सख्त कदम उठाने की अपील
इजरायली सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी ऑस्ट्रेलिया में बढ़ते यहूदी-विरोधी हमलों पर चिंता जताई है. उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई प्रशासन से अपील की कि ऐसे अपराधों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और यहूदी समुदाय की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए. हालांकि, नेतन्याहू का बयान इस मायने में अलग रहा कि उन्होंने सीधे तौर पर सिडनी गोलीबारी को फिलिस्तीनी राष्ट्र के समर्थन से जोड़ दिया.
फिलिस्तीन की अंतरराष्ट्रीय मान्यता का मुद्दा
सितंबर में संयुक्त राष्ट्र की एक बैठक के दौरान ऑस्ट्रेलिया उन देशों में शामिल था, जिन्होंने आधिकारिक रूप से फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी. फिलिस्तीनी विदेश मंत्रालय के अनुसार, अब तक 159 देश फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय का बड़ा हिस्सा लंबे समय से चले आ रहे इजरायल–फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए दो-राज्य समाधान को सबसे व्यावहारिक रास्ता मानता है.
इजरायल का दो-राज्य समाधान पर विरोध
नेतन्याहू की सरकार का रुख इससे अलग है. उनका कहना है कि फिलिस्तीनी राज्य के लिए बढ़ता अंतरराष्ट्रीय दबाव चरमपंथी संगठन हमास को अप्रत्यक्ष रूप से इनाम देने जैसा है. इजरायल का तर्क है कि जब तक सुरक्षा से जुड़े मुद्दों का समाधान नहीं होता, तब तक फिलिस्तीनी राज्य की मान्यता क्षेत्र में शांति के बजाय अस्थिरता बढ़ा सकती है.
बढ़ता तनाव
सिडनी की घटना के बाद दिए गए बयानों ने यह साफ कर दिया है कि यह मुद्दा सिर्फ एक सुरक्षा घटना तक सीमित नहीं रहा. यह अब कूटनीतिक और वैचारिक टकराव का रूप ले चुका है, जिसमें मानवाधिकार, सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय राजनीति तीनों एक-दूसरे से गहराई से जुड़े नजर आ रहे हैं.


