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वोट चोरी पर गरमाया सियासी पारा, राहुल गांधी बोले- गठबंधन की सरकार बनी तो चुनाव आयोग से होगा पूरा हिसाब

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को "वोट चोरी" की साजिश बताया और चुनाव आयोग पर भाजपा के लिए काम करने का आरोप लगाया. उन्होंने चेतावनी दी कि इंडिया गठबंधन की सरकार बनने पर मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. चुनाव आयोग ने राहुल से आरोपों के सबूत देने को कहा है. यह विवाद 2024 चुनाव से पहले बड़ी बहस छेड़ रहा है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Voter Rights Yatra : पटना में “मतदाता अधिकार यात्रा” के दौरान राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) की प्रक्रिया असल में "वोट चोरी" का जरिया है, जो 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले जानबूझकर तैयार की गई है. उनका दावा है कि यह पूरी प्रक्रिया सत्ता पक्ष भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए की जा रही है.

BJP के लिए काम कर रही चुनाव आयोग 
राहुल गांधी ने साफ चेतावनी दी कि यदि INDIA गठबंधन बिहार और केंद्र में सरकार बनाता है तो मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य दो चुनाव आयुक्तों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने निष्पक्षता छोड़ दी है और अब वह भाजपा के हित में काम कर रहा है.

थोड़ा वक्त दीजिए, हम हर सीट पर वोट चोरी पकड़ेंगे
बिहार की एक सभा में गांधी ने लोगों से कहा कि उन्होंने मतदाता सूची से नाम हटाए जाने की कई शिकायतें सुनी हैं, और ये मामले बड़े पैमाने पर हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार को कभी "विशेष पैकेज" देने का वादा किया था, वैसे ही यह SIR प्रक्रिया भी बिहार के लोगों के अधिकारों पर सीधा हमला है.

CEC की चेतावनी और राहुल का पलटवार
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी को उनके "वोट चोरी" वाले बयान पर सात दिन का अल्टीमेटम दिया था. उन्होंने कहा कि या तो राहुल गांधी अपने आरोपों के पक्ष में एक हलफनामा दें या फिर माफी मांगें, वरना उनके आरोपों को निराधार माना जाएगा. इस पर राहुल गांधी ने जवाब दिया कि वे पीछे हटने वाले नहीं हैं और देश की जनता खुद चुनाव आयोग से जवाब मांगेगी.

बिहार चुनाव आयोग की कार्रवाई
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने भी राहुल गांधी से वीडियो में दिखाई गई शिकायतों पर ठोस जानकारी मांगी है, खासकर मतदाताओं के EPIC (Voter ID) नंबर सहित डिटेल्स, ताकि जांच की जा सके. चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि SIR प्रक्रिया के तहत दावे और आपत्तियाँ दर्ज करने की अंतिम तिथि 1 सितंबर, 2025 है, और कोई भी बूथ लेवल एजेंट संबंधित जानकारी जमा कर सकता है.

राजनीतिक असर और चुनावी पारदर्शिता पर सवाल
यह पूरा विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब देश 2026 में आम चुनावों की ओर बढ़ रहा है. विपक्ष लगातार चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठा रहा है, वहीं आयोग इन आरोपों को खारिज कर पारदर्शी प्रक्रिया का दावा करता है. आने वाले समय में यह मुद्दा राजनीतिक बहस के केंद्र में रह सकता है, खासकर बिहार जैसे बड़े राज्य में, जहां जातीय और सामाजिक समीकरण बेहद संवेदनशील हैं.

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18 August 2025, 10:54 PM IST

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