पसमांदा मुसलमानों को ओबीसी दर्जा देने की संभावना, जाति जनगणना में होगा दस्तावेजीकरण
भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा और ओबीसी मोर्चा ने संकेत दिया है कि आगामी जाति जनगणना में पसमांदा मुसलमानों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में दर्ज किया जा सकता है.

आगामी राष्ट्रीय जाति जनगणना में पसमांदा मुसलमानों को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी में शामिल किया जा सकता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिया है कि जाति आधारित जनगणना में पसमांदा मुसलमानों की गिनती ओबीसी श्रेणी के तहत की जाएगी.
उचित प्रतिनिधित्व
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा और ओबीसी मोर्चा के नेताओं ने पुष्टि की है कि पसमांदा मुसलमानों को उनका “उचित प्रतिनिधित्व” देने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं. भाजपा के ओबीसी मोर्चा प्रमुख ने बताया कि मंडल आयोग की सिफारिशों के अनुसार, मुस्लिम समुदाय के कई समूह पहले से ही ओबीसी सूची में हैं और उन्हें जनगणना में उसी रूप में दर्ज किया जाएगा.
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने कहा कि पसमांदा मुसलमान भारत के नागरिक हैं और पिछड़ेपन के आधार पर उनकी गणना की जाएगी. 'पसमांदा' शब्द फ़ारसी से आया है, जिसका अर्थ होता है 'पीछे छूटे हुए लोग'. यह शब्द मुस्लिम समुदाय के भीतर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. सच्चर समिति की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 40% मुसलमान पसमांदा श्रेणी में आते हैं, जबकि कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और विद्वानों का मानना है कि यह संख्या 80-85% तक हो सकती है.
मुस्लिम आरक्षण की मांग
आगामी जनगणना में मुसलमानों की जातियों का रिकॉर्ड भी रखा जाएगा. हालांकि, धार्मिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं होने के कारण मुस्लिम आरक्षण की मांग को स्वीकार नहीं किया जाएगा. जनगणना के दौरान धर्म और जाति दोनों कॉलम होंगे और मुस्लिम समुदाय की विविध जातियों का दस्तावेजीकरण किया जाएगा.
जनगणना कार्य अगले दो-तीन महीनों में शुरू होने की संभावना है और अधिकारी नियुक्त करने की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी. भाजपा ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के. लक्ष्मण ने कहा कि यह प्रक्रिया पारदर्शी, कानूनी और संरचित ढंग से पूरी की जाएगी, न कि कांग्रेस शासित राज्यों द्वारा किए गए "खंडित सर्वेक्षणों" की तरह.


