लोकसभा में वंदे मातरम पर पीएम मोदी के भाषण से दूर रहे राहुल और प्रियंका गांधी, बीजेपी ने बोला हमला
लोकसभा में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर हुई चर्चा में राहुल और प्रियंका की अनुपस्थिति पर भाजपा ने हमला बोला. पीएम मोदी ने कांग्रेस के ऐतिहासिक निर्णयों, नेहरू की चिट्ठी और आपातकाल का उल्लेख करते हुए वंदे मातरम के महत्व पर जोर दिया.

नई दिल्लीः लोकसभा में वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित विशेष चर्चा के दौरान एक बड़ा राजनीतिक विवाद सामने आ गया, जब विपक्ष के नेता राहुल गांधी और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा सदन में उपस्थित नहीं हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के बाद कांग्रेस की ओर से चर्चा का नेतृत्व सांसद गौरव गोगोई ने किया. इस अनुपस्थिति को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया.
राहुल की गैरमौजूदगी पर बीजेपी का वार
चर्चा के दौरान भाजपा नेता सी.आर. केसवन ने राहुल गांधी की अनुपस्थिति को राष्ट्रगीत का अपमान करार दिया. उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी वंदे मातरम और स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दे रहे थे, तब विपक्ष के नेता का सदन में न होना गंभीर अनादर दर्शाता है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि राहुल गांधी का अनुपस्थित रहना उनके राष्ट्रीय भावनाओं के प्रति रुख को स्पष्ट करता है. हालांकि, इससे पहले राहुल गांधी ने संकेत दिया था कि कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी चर्चा में बोलेंगी.
150वीं वर्षगांठ पर विशेष बहस का उद्देश्य
यह पूरा कार्यक्रम वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ को समर्पित है. सरकार का उद्देश्य इस अवसर पर एक ऐसा जन-आंदोलन खड़ा करना है जो लोगों को राष्ट्रगीत की मूल क्रांतिकारी भावना से फिर जोड़ सके. सोमवार दोपहर प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में इस चर्चा की शुरुआत की, जबकि मंगलवार को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह के संबोधन की उम्मीद जताई गई है. संसद ने इस विषय पर कुल 10 घंटे की चर्चा निर्धारित की है.
कांग्रेस पर प्रधानमंत्री के हमले
चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर कांग्रेस के ऐतिहासिक निर्णयों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पार्टी ने राष्ट्रगीत के साथ अन्याय किया है. उन्होंने कहा कि बीते सौ वर्षों में कुछ शक्तियों ने वंदे मातरम के महत्व को कम करने की कोशिश की.
पीएम मोदी ने 1937 की उस घटना का उल्लेख किया, जब उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने फैज़ाबाद अधिवेशन में वंदे मातरम के महत्वपूर्ण छंदों को हटाया था. उनके अनुसार, इस फैसले ने विभाजन के बीज बोए और राष्ट्रगीत को टुकड़े-टुकड़े कर दिया.
नेहरू की चिट्ठी और जिन्ना का विरोध
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में उस ऐतिहासिक पत्र का भी जिक्र किया, जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस को लिखा था कि वंदे मातरम मुसलमानों को भड़का सकता है.
पीएम मोदी ने कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना द्वारा इस गीत का विरोध किए जाने के बाद नेहरू ने गीत की समीक्षा की बात कही थी. प्रधानमंत्री के अनुसार, यह उस समय की राष्ट्रीय एकता को कमजोर करने वाला दृष्टिकोण था और स्वतंत्रता संग्राम में वंदे मातरम की भूमिका को कम आंकने का प्रयास था.
आपातकाल का भी उठाया मुद्दा
प्रधानमंत्री मोदी ने भाषण के दौरान आपातकाल का हवाला देते हुए कहा कि जब वंदे मातरम के 100 वर्ष पूरे हुए, तब देश संविधान के दमनकारी दौर से गुजर रहा था. उन्होंने कहा कि जिस गीत ने स्वतंत्रता आंदोलन को ऊर्जा दी, उसी की शताब्दी पर देश को ‘काले अध्याय’ का सामना करना पड़ा.


