score Card

RBI का मास्टरस्ट्रोक: बैंकिंग सिस्टम में 1.9 लाख करोड़ की नकदी से लाएगी मजबूती!

RBI ने हाल ही में ऐलान किया है कि वह बैंकिंग सिस्टम में 1.9 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए खुला बाजार ऑपरेशन करेगा. इसके तहत सरकारी बॉन्ड्स खरीदे जाएंगे और डॉलर/रुपये की अदला-बदली भी की जाएगी. इस कदम का उद्देश्य बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी को दूर करना और अर्थव्यवस्था को स्थिर रखना है. क्या होगा इसका असर और क्यों ये कदम जरूरी था? जानिए पूरी खबर में!

Aprajita
Edited By: Aprajita

RBI's Bold Move:भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी (नकदी) को बढ़ाने के लिए एक अहम फैसला लिया है. इस कदम से न सिर्फ आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे बाजार में नकदी की कमी को भी दूर किया जा सकेगा.

RBI ने क्या किया ऐलान?

RBI ने बुधवार को यह घोषणा की कि वह इस महीने के दौरान 1.9 लाख करोड़ रुपये की नकदी सिस्टम में डालेगा. यह कदम खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) की खरीद के जरिए उठाया जाएगा, जिससे बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं के पास ज्यादा लिक्विडिटी (नकदी) होगी. इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक डॉलर/रुपये की अदला-बदली (Forex Swap) करके भी लगभग 1.9 लाख करोड़ रुपये को बैंकिंग सिस्टम में डालने की योजना बना रहा है.

कब और कैसे होगा यह कदम?

रिपोर्ट के अनुसार, 28 फरवरी को RBI ने 10 अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 75,000 करोड़ रुपये) की डॉलर/रुपये अदला-बदली की थी. इस प्रक्रिया में खासा इंटरेस्ट देखा गया था और मजबूत डिमांड भी आई थी. अब आरबीआई ने अगले कुछ दिनों में और भी बड़े कदम उठाने का ऐलान किया है.

12 मार्च और 18 मार्च को भारतीय रिजर्व बैंक 50,000 करोड़ रुपये की दो किस्तों में भारत सरकार की 1 लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) खरीद नीलामी आयोजित करेगा. ओपन मार्केट ऑपरेशन का मतलब है कि RBI खुले बाजार में सरकारी बॉन्ड्स खरीदता है, जिससे नकदी की मात्रा बढ़ जाती है.

रिजर्व बैंक का उद्देश्य क्या है?

इस कदम का मुख्य उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखना और बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी को दूर करना है. आरबीआई द्वारा यह कदम तब उठाया गया है जब बैंकिंग सिस्टम में पर्याप्त नकदी नहीं थी और उसे तात्कालिक रूप से बढ़ाने की जरूरत महसूस हो रही थी.

इससे बैंकों को अपनी तरलता (liquidity) मजबूत करने में मदद मिलेगी और यह कदम पूरे वित्तीय क्षेत्र में विश्वास बनाए रखने में सहायक होगा. इसके साथ ही यह आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दे सकता है, क्योंकि बैंकों के पास ज्यादा लिक्विडिटी होगी तो वे उधारी देने में सक्षम होंगे, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी.

आखिर क्यों जरूरी है यह कदम?

भारत जैसे बड़े और विकासशील अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह बहुत अहम होता है. बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की पर्याप्तता से वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित होती है और इसके जरिए रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति को प्रभावी तरीके से लागू कर सकता है. अगर बैंकिंग सिस्टम में नकदी की कमी होती है, तो इससे उधारी महंगी हो सकती है और आर्थिक गतिविधियाँ मंद पड़ सकती हैं.

RBI का यह कदम ऐसे समय में आया है जब अर्थव्यवस्था को और ज्यादा तरलता की जरूरत थी, खासकर छोटे और मझोले उद्योगों के लिए जो आर्थिक गतिविधियों को चलाते हैं.

RBI का यह फैसला भारतीय बैंकिंग सिस्टम के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि बैंकों के पास पर्याप्त नकदी हो, ताकि वे अपने ग्राहकों को बेहतर सेवाएं दे सकें और अर्थव्यवस्था की गति को बनाए रख सकें. आने वाले दिनों में इस कदम के सकारात्मक परिणाम दिख सकते हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.

calender
05 March 2025, 11:39 PM IST

ताजा खबरें

ट्रेंडिंग वीडियो

close alt tag