बंद दरवाजों के पीछे उतरेगा तिरंगा, फिर शुरू हुई रिट्रीट सेरेमनी, लेकिन बिन मिलन के
भारत और पाकिस्तान के बीच धीरे-धीरे कम हो रहे तनाव को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमा के भारत-पाकिस्तान सीमा पर आयोजित होने वाली रिट्रीट सेरेमनी को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है. सीमा क्षेत्र विकास मोर्चा के अध्यक्ष लीलाधर शर्मा ने बताया कि कल मंगलवार से प्रतिदिन शाम छह बजे रिट्रीट समारोह आयोजित किया जाएगा.

रिट्रीट सेरेमनी कल से : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अमृतसर के अटारी बॉर्डर और फाजिल्का के सादकी चौकी में रिट्रीट सेरेमनी 12 दिन बाद फिर से शुरू हो रही है. भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद 7 मई से रिट्रीट समारोह बंद कर दिया गया था. आपको बता दें कि कल शाम 6:00 बजे से दोनों सीमाओं पर एक और रिट्रीट समारोह होगा. फिलहाल दोनों देश रिट्रीट समारोह के लिए तैयार हैं, लेकिन दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाया गया है. इस दौरान न तो सीमाओं के बीच गेट खुलेंगे और न ही सीमा सुरक्षा बल और पाक रेंजर्स एक दूसरे से हाथ मिलाएंगे. ध्वज उतारने की प्रक्रिया केवल बंद दरवाजे के पीछे ही पूरी की जाएगी.
संघर्ष विराम से लोगों को मिली राहत
आपको बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए थे. फाजिल्का के भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र के कई गांवों के लोग अपने घरों को छोड़कर चले गए और इसके चलते भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित फाजिल्का के अटारी बॉर्डर और सादिकी चौकी में होने वाली रिट्रीट सेरेमनी रोक दी गई. लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की खबर आने के बाद लोगों को राहत मिली. भारत और पाकिस्तान के बीच धीरे-धीरे कम हो रहे तनाव को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय सीमा के भारत-पाकिस्तान सीमा पर आयोजित होने वाली रिट्रीट सेरेमनी को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है.
देशभक्ति दिखाने का मौका
सीमा क्षेत्र विकास मोर्चा के अध्यक्ष लीलाधर शर्मा ने बताया कि कल मंगलवार से प्रतिदिन शाम छह बजे रिट्रीट समारोह आयोजित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि लोगों को बड़ी संख्या में आकर रिट्रीट सेरेमनी देखनी चाहिए तथा अपनी देशभक्ति की भावना का प्रदर्शन करना चाहिए तथा बीएसएफ जवानों को शुभकामनाएं देकर उनका उत्साहवर्धन करना चाहिए.
पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ.
जम्मू-कश्मीर का अनंतनाग जिला और उसका पहलगाम इलाका अक्सर आतंकवादियों के निशाने पर रहता है, लेकिन 22 अप्रैल 2025 से पहले बसरन घाटी में कभी कोई आतंकी हमला नहीं हुआ था. स्थानीय लोगों के बाद इस क्षेत्र में पर्यटकों को सबसे सुरक्षित माना जाता था. यही कारण था कि यहां न तो सेना और न ही पुलिस टीम तैनात की गई. आतंकवादियों ने इन परिस्थितियों का फायदा उठाया और पर्यटकों को निशाना बनाया.