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रूसी महिला की सांप से दोस्ती! कर्नाटक के जंगलों में छिपकर बिताए 8 साल... दो बेटियों को भी दिया जन्म

कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के गोकर्ण में एक ऐसी चौंकाने वाली घटना सामने आई, जिसने न केवल स्थानीय पुलिस बल्कि पूरे समाज को हैरान कर दिया. एक रूसी महिला, नीना कुटिना, और उनकी दो बेटियाँ रामतीर्थ पहाड़ियों की एक दुर्गम गुफा में पिछले कुछ समय से रह रही थीं. यह गुफा इस इलाके के भूस्खलन के खतरों के कारण बेहद दुर्गम थी, लेकिन फिर भी नीना ने इसे अपना घर बना लिया था.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले के गोकर्ण में एक ऐसी दिलचस्प और चौंकाने वाली घटना घटी, जिसने सभी को हैरान कर दिया. नीना कुटिना, एक रूसी महिला, और उनकी दो बेटियाँ रामतीर्थ पहाड़ियों की एक दुर्गम गुफा में पिछले कुछ समय से रह रही थीं. नीना ने 2017 में अपना वीजा समाप्त होने के बाद भारत छोड़ने का बजाय जंगलों में रहने का विकल्प चुना. अब जब पुलिस ने उन्हें गुफा से बाहर निकाला, तो नीना ने अपनी कहानी साझा की, जिसने न केवल पुलिस बल्कि समाज को भी चौंका दिया.

गश्त के दौरान पुलिस की नजर महिला पर पड़ी 


गोकर्ण पुलिस के सब-इंस्पेक्टर श्रीधर एसआर और उनकी टीम ने रामतीर्थ पहाड़ियों में गश्त करते समय नीना और उनकी बेटियों को गुफा में देखा. यह इलाका भूस्खलन के लिए खतरनाक माना जाता था. पुलिस को गुफा की ओर जाने वाले पैरों के निशान मिले, और वे उन्हीं के पीछे-पीछे गुफा तक पहुंचे. गुफा के प्रवेश द्वार पर देवी-देवताओं की तस्वीरें और प्लास्टिक कवर लगे हुए थे, जिससे वहां रहने वालों की धार्मिक आस्था भी झलक रही थी. जब पुलिस ने अंदर जाकर देखा, तो नीना और उनकी दो बेटियाँ पिछले दो महीनों से वहां रह रही थीं. श्रीधर ने बताया, "यह उनके 8 साल के छिपे हुए जीवन का हिस्सा था." पुलिस ने उन्हें भूस्खलन के खतरे के बारे में बताया और उन्हें गुफा से बाहर निकाला.

सांपों ने हमें कभी नुकसान नहीं पहुँचाया

नीना का कहना था कि वह सांपों के साथ दोस्ती कर चुकी हैं और इन सांपों ने कभी उन्हें नुकसान नहीं पहुँचाया. उन्होंने आगे बताया, ''हम सभी पास के ही झरने में नहाने के लिए जाते थे, वहां सांप भी हमारे आसपास ही रहते थे,पर सांपों ने हम पर कभी भी हमला नहीं किया.'' महिला की बात को सुनकर सभी पुलिसकर्मी हैरान रह गए कि कैसे एक महिला अपनी दो बेटियों के साथ जंगल में बिना किसी डर के जीवन जी रही थी.

बिजनेस वीजा पर भारत आई थी नीना 

नीना 2016 में बिजनेस वीजा पर भारत आई थीं और गोवा तथा गोकर्ण में पर्यटन और रेस्तरां क्षेत्र में काम करने लगीं. लेकिन 17 अप्रैल 2017 को उनका वीजा समाप्त हो गया, फिर भी उन्होंने भारत छोड़ने का फैसला नहीं किया. नीना का कहना था कि उन्हें ध्यान और जंगल में पूजा करना बहुत पसंद था. वह होटल में रुकने से डरती थीं क्योंकि इससे उनकी पहचान उजागर हो सकती थी, और इसलिए उन्होंने जंगल को अपना घर बना लिया.

भारत में ही पैदा हुई दो बेटियाँ

नीना की दोनों बेटियाँ भारत में ही पैदा हुईं थीं, लेकिन नीना ने बच्चों के पिता के बारे में कोई जानकारी देने से इंकार कर दिया. पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या प्रसव के दौरान उन्हें कोई चिकित्सा सहायता मिली थी या नहीं. नीना ने गुफा में पर्याप्त किराने का सामान जमा किया हुआ था, और वह बारिश के मौसम में न्यूनतम कपड़ों में रहती थीं. उनके पास मोमबत्तियां थीं, लेकिन ज्यादातर समय वह प्राकृतिक रोशनी में ही रहती थीं. नीना कभी-कभी किराने का सामान खरीदने के लिए शहर जाती थीं और वहां अपने फोन को चार्ज करती थीं.

हमारा गुफा जीवन खत्म हो चुका है...
 

शुक्रवार को गुफा से बाहर निकाले जाने के बाद, नीना और उनकी बेटियों को करवार के वुमन रिसेप्शन सेंटर में भेजा गया. वहीं, बीते रविवार को नीना ने अपने व्हाट्सएप से एक मैसेज भेजा, जिसमें उन्होंने भारत की प्रकृति से अपने गहरे लगाव को साझा किया. उन्होंने लिखा,'' हमारा गुफा जीवन खत्म हो चुका है. हमारा आरामदायक घर भी तोड़ दिया गया है. अब हमें एक ऐसी जेल में डाल दिया गया है, जहां न तो आसमान है, न घास और न ही झरना. वे आगे लिखती है कि हमें बारिश और सांपों से बचाने के नाम पर फर्श पर सुलाया जा रहा है.'' नीना ने अपनी बेटियों का एक रूटीन तैयार किया था, जिसमें ड्राइंग, गायन, मंत्र जप, योग, और व्यायाम शामिल थे. उनके फोन में बच्चों की खुशियों से भरी तस्वीरें थीं. जब उन्हें एक आश्रम में ठहराया गया, तो उनकी बेटियां बिजली की रोशनी और बिस्तर देखकर बहुत खुश हुईं, क्योंकि उन्होंने पहले कभी इन चीजों का अनुभव नहीं किया था.

नीना को वापस भेजने की तैयारी में पुलिस 

अब पुलिस ने नीना और उनकी बेटियों को रूस वापस भेजने की तैयारी की है. हालांकि, नीना का कहना है कि भारत, इसके जंगल, और यहां की प्राकृतिक सुंदरता से उनका गहरा जुड़ाव है, और देश छोड़ने का विचार उन्हें तोड़ रहा है. यह घटना न केवल भारत के वन्यजीवन और पर्यावरण के प्रति आध्यात्मिक जुड़ाव को दिखाती है, बल्कि यह गौरवपूर्ण साहस और स्वतंत्रता की कहानी भी है. नीना और उनकी बेटियाँ एक अद्वितीय जीवन जी रही थीं, जो समाज के लिए एक रहस्य बना हुआ है.

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14 July 2025, 06:40 PM IST

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