'अबू धाबी में UP की महिला को फांसी, परिवार बोला - ‘हमें तो बस ये जानना था, हमारी बेटी जिंदा है या नहीं’"
UAE में 4 महीने के बच्चे की हत्या के आरोप में यूपी की रहने वाली शहजादी खान को 15 फरवरी को फांसी दे दी गई, लेकिन उसके परिवार को इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई थी. जब दिल्ली हाई कोर्ट में यह मामला उठा, तब विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की. परिवार का दावा है कि शहजादी को अपनी सफाई देने का मौका नहीं मिला और उसे जबरन गुनाह कबूल करवाया गया. आखिर ऐसा क्या हुआ था कि उसे मौत की सजा दे दी गई? पढ़ें पूरी खबर...

UP Woman Executed in UAE: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में चार महीने के बच्चे की हत्या के आरोप में उत्तर प्रदेश की रहने वाली शहजादी खान को 15 फरवरी को फांसी दे दी गई. यह जानकारी दिल्ली हाई कोर्ट में विदेश मंत्रालय द्वारा सोमवार को दी गई. महिला के पिता ने उसकी सलामती के लिए याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के दौरान यह बड़ा खुलासा हुआ.
फांसी की खबर से सदमे में परिवार
बांदा जिले की रहने वाली 33 वर्षीय शहजादी को पिछले साल 31 जुलाई को अबू धाबी की अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी. उसे अल वथबा जेल में बंद रखा गया था. याचिका दायर करने वाले उसके पिता शब्बीर खान ने आरोप लगाया कि उन्हें बेटी की स्थिति को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई थी. उन्होंने कई बार विदेश मंत्रालय से संपर्क किया, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला.
14 फरवरी को किया था आखिरी फोन
याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि 14 फरवरी को शहजादी ने जेल से परिवार को फोन कर कहा था कि उसे एक-दो दिन में फांसी दे दी जाएगी और यह उसकी आखिरी कॉल है. इसके बाद से परिवार को कोई जानकारी नहीं दी गई थी. कोर्ट में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने बताया कि महिला को 15 फरवरी को ही फांसी दे दी गई थी और उसका अंतिम संस्कार 5 मार्च को होगा.
बचाव का पूरा मौका नहीं मिला?
याचिका में दावा किया गया कि शहजादी को अपने बचाव का पूरा मौका नहीं मिला और उस पर अपराध कबूल करने के लिए दबाव डाला गया. उनके वकील का कहना है कि उनके नियोक्ता के चार महीने के बच्चे की मौत के बाद शहजादी को दोषी ठहराया गया, लेकिन उसके पक्ष को सही से नहीं सुना गया.
बच्चे की मौत पर संदेह
याचिका के अनुसार, दिसंबर 2021 में वैध वीजा पर अबू धाबी गई शहजादी को अगस्त 2022 में नियोक्ता के नवजात बच्चे की देखभाल की जिम्मेदारी दी गई थी. 7 दिसंबर 2022 को बच्चे को नियमित टीके लगाए गए थे, लेकिन उसी शाम उसकी मौत हो गई. परिवार ने पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया और मौत की जांच से छूट देने का समझौता किया. इसके बावजूद, शहजादी को हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई.
सरकार ने की थी बचाने की कोशिश
विदेश मंत्रालय की ओर से अदालत में बताया गया कि सरकार ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की थी. दूतावास के अधिकारी लगातार परिवार के संपर्क में थे और कानूनी लड़ाई के लिए एक स्थानीय वकील की भी नियुक्ति की गई थी. लेकिन UAE के सख्त कानूनों के चलते शिशु हत्या के मामले में कोई राहत नहीं मिल सकी.
अब क्या करेगा परिवार?
अब परिवार की मांग है कि इस मामले की पूरी जांच हो और अगर शहजादी के साथ अन्याय हुआ है, तो सरकार इस पर ठोस कदम उठाए. 5 मार्च को होने वाले अंतिम संस्कार में परिवार के कुछ सदस्य शामिल होंगे. इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर विदेशों में काम कर रही भारतीय महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है.


