सिंधु नदी: कहां से निकलती है, कैसे बन गया 20 बड़े बांधों का जाल और क्या है इसकी ऐतिहासिक यात्रा
सिंधु नदी एशिया की एक महत्वपूर्ण नदी है, जो तिब्बत से निकलकर भारत और पाकिस्तान से बहती है. यह नदी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस पर बने 20 बड़े बांध नदी के महत्व को और बढ़ाते हैं, जो इसके पानी के नियंत्रण और प्रबंधन में सहायक होते हैं.

नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए हमले के बाद भारत सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है. फिलहाल इस कदम का पाकिस्तान पर तत्काल असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अगर यह निर्णय लंबे समय तक जारी रहता है, तो पाकिस्तान को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है. सिंधु नदी को भारतीय उपमहाद्वीप की जीवनरेखा कहा जाता है. यह लगभग 3,000 किलोमीटर लंबी है, जिससे यह एशिया की सबसे लंबी नदियों में शामिल होती है. पाकिस्तान इस नदी के जल पर पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि इसका अधिकांश भाग पाकिस्तान में बहता है. पंजाब का उपजाऊ क्षेत्र इसी नदी से सिंचित होता है.
सिंधु नदी का उद्गम स्थल
सिंधु नदी तिब्बत (चीन) के बोखार चू ग्लेशियर से निकलती है, जो मानसरोवर झील के पास स्थित है. वहां से यह नदी डेमचोक के पास भारत में प्रवेश करती है, फिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होते हुए पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में बहती है और अंततः कराची के पास अरब सागर में जाकर मिल जाती है.
मुख्य सहायक नदियां
इस नदी की कई छोटी-बड़ी सहायक नदियाँ हैं. बाएं किनारे पर झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज, पंजनद, सुरू, सोन और जसकर जैसी नदियाँ हैं, जबकि दाएं किनारे पर श्योक, गिलगित, हुंजा, स्वात, कुन्नार, कुर्रम, गोमल, तोची और काबुल नदियाँ मिलती हैं. ये नदियाँ सिंधु प्रणाली को व्यापक और प्रभावशाली बनाती हैं.
जलविद्युत परियोजनाएं और बांध
सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर कई बड़े बांध और परियोजनाएं बनी हुई हैं. भारत में सतलुज पर भाखड़ा (1,325 मेगावाट), ब्यास पर पंडोह (990 मेगावाट), चिनाब पर बगलिहार (900 मेगावाट) और धुलहस्ती (390 मेगावाट), झेलम पर उरी (480 मेगावाट) और किशनगंगा (330 मेगावाट) प्रमुख हैं. पाकिस्तान में सिंधु पर तरबेला (4,888 मेगावाट), झेलम पर मंगला (1,000 मेगावाट) और नीलम-झेलम (969 मेगावाट) प्रमुख परियोजनाएं हैं.
भारत में सिंधु की मौजूदगी
सिंधु नदी की कुल लंबाई लगभग 3,000 किलोमीटर है, लेकिन भारत में इसका केवल 710 किलोमीटर भाग ही बहता है, जो जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से होकर गुजरता है. हालांकि, इसमें से अधिकांश हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र में आता है, जिस पर भारत दावा करता है.


