आवारा कुत्तों का आतंक: विदेशी पर्यटक पर हमला, देश की छवी हो रही खराब, सुप्रीम कोर्ट ने जताई गंभीर चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने तो चौंकाने वाली बात कही है. अपने फैसले में कोर्ट ने एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए बताया कि भारत घूमने आने वाले विदेशी टूरिस्ट भी बिना किसी वजह के आवारा कुत्तों के खतरनाक हमलों का शिकार बन रहे हैं.

नई दिल्ली: देशभर में बढ़ती आवारा कुत्तों के हमलों की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. अदालत ने शुक्रवार को आदेश जारी करते हुए दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों को हटाने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि इन स्थानों पर कुत्तों के हमलों में खतरनाक वृद्धि हुई है, जिससे नागरिकों की सुरक्षा के साथ-साथ भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि पर भी बुरा असर पड़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि अब यह समस्या केवल घनी आबादी या ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं रही, बल्कि अस्पतालों, स्कूलों और सार्वजनिक परिसरों तक फैल चुकी है.” अदालत ने जनसुरक्षा को लेकर चिंता जताई और कहा कि ऐसी घटनाओं से न केवल आम नागरिक बल्कि विदेशी पर्यटक भी प्रभावित हो रहे हैं.
विदेशी नागरिक पर हमले का जिक्र, देश की छवि पर चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में एनडीटीवी की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें बताया गया कि भारत आने वाले विदेशी नागरिक भी आवारा कुत्तों के हमलों का शिकार हो रहे हैं. कोर्ट ने बेंगलुरु की एक घटना का उल्लेख किया, जहां सुबह की दौड़ के दौरान एक वेल्श उद्यमी को आवारा कुत्ते ने काट लिया था. अदालत ने कहा कि यह केवल एक अलग-थलग घटना नहीं है, बल्कि यह इस बात का संकेत है कि कुत्तों के हमलों ने अब एक गंभीर सार्वजनिक खतरे का रूप ले लिया है. कोर्ट ने यह भी कहा कि यह स्थिति न केवल नागरिकों के जीवन के लिए खतरा है, बल्कि पर्यटन और भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा पर भी असर डाल रही है.
संस्थागत परिसरों में हमलों की बढ़ती घटनाए
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, खेल परिसरों, बस स्टैंडों और रेलवे स्टेशनों में कुत्तों के हमलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है. स्कूल परिसरों में बच्चों पर हमले, अस्पतालों में मरीजों और तीमारदारों को काटने, खेल स्टेडियमों में एथलीटों और अधिकारियों पर हमला करने की घटनाएं न्यायालय के संज्ञान में आई हैं. कोर्ट ने कहा कि इन घटनाओं की लगातार पुनरावृत्ति, प्रशासनिक उदासीनता और सिस्टम की विफलता को दर्शाती है. अदालत ने चेताया कि यह स्थिति संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के जीवन और सुरक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को दिए गए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे तत्काल प्रभाव से सभी शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, सार्वजनिक खेल परिसरों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों को हटाने की कार्रवाई सुनिश्चित करें. इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि इन परिसरों की उचित बाड़बंदी की जाए ताकि भविष्य में कुत्तों का प्रवेश रोका जा सके. पीठ ने यह भी कहा कि जनहित में तत्काल कदम उठाए जाने आवश्यक हैं ताकि बच्चों, मरीजों और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट संदेश
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रशासनिक एजेंसियों को अब यह मानना होगा कि आवारा कुत्तों की समस्या केवल पशु कल्याण का नहीं बल्कि मानव सुरक्षा का भी मुद्दा बन चुकी है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जनता के मौलिक अधिकारों की रक्षा सर्वोपरि है और किसी भी संस्थान में असुरक्षित वातावरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.


